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मेडिकल यूनिवर्सिटी में हो रही घोर लापरवाही, सरकार नहीं दे रही ध्यान

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Sep 30, 2017

जबलपुर : मध्यप्रदेश के तमाम मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग और आयुर्वेदिक कॉलेजों को रेगुलेट करने वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी अपनी स्थापना के बाद से ही सरकारी लापरवाही की शिकार हो रही हैं। पूरे प्रदेश के मेडिकल एजुकेशन सेक्टर को संभालने वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी, जबलपुर में किराए के चार कमरों में संचालित हैं। जहां 85 फीसदी पद खाली पड़े हैं और विश्वविद्यालय में कोई परीक्षा नियंत्रक तक नहीं हैं। जिससे प्रदेश के मेडिकल एजुकेशन सेक्टर का हाल समझा जा सकता हैं।

मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा जगत में तमाम घपले-घोटाले सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने मेडिकल एजुकेशन सेक्टर को रैगुलेट करने के लिए मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। जबलपुर में साल 2011 में ये मेडिकल यूनिवर्सिटी स्थापित तो कर दी गई, लेकिन सरकार ने इसकी तरफ पलट कर नहीं देखा।

हैरानी की बात हैं कि अपनी स्थापना के 6 साल बाद भी मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास अपनी बिल्डिंग तक नहीं हैं और यूनिवर्सिटी के 85 फीसदी पद खाली हैं, जो कभी भरे ही नहीं गए। प्रदेश की ये मेडिकल यूनिवर्सिटी राज्य के सभी मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग और आयुर्वेदिक कॉलेजों को रैगुलेट करती हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी के पास अपना परीक्षा नियंत्रक तक नहीं हैं। खुद यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर आरएस शर्मा इन हालातों को बेहद गंभीर बता रहे हैं।  

इधर दूसरी तरफ प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन सहित विभागीय आला अधिकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए जरूरी इंस्फ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ की व्यवस्था जल्द करने की बात तो कहते आए हैं, लेकिन ऐसी बातें बीते 6 सालों में कोई असर नहीं दिखा पाई हैं।

मेडिकल यूनिवर्सिटी को जब इस संबंध में प्रदेश के सभी मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग और आयुर्वेदिक कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करनी हैं, तो कुलपति मौजूदा हालत को प्रदेश के मेडिकल एजुकेशन सेक्टर की स्थिति के लिए गंभीर बता रहे हैं।

कुलपति का कहना हैं कि हाल ही में उन्होंने फिर विभागीय अधिकारियों को यूनिवर्सिटी में जरूरी इंस्फ्रास्ट्रक्चर के लिए पत्र लिखा हैं। जिस पर उन्हें फण्ड की पहली किश्त जल्द से जल्द जारी किए जाने का आश्वासन दिया गया हैं।  

किसी भी जगह शिक्षा की हालत वहां शैक्षणिक संस्थाओं के हाल को देखकर समझी जा सकती हैं। उसपर भी मध्यप्रदेश में व्यापम, डीमैट और फिर हालिया नीट घोटालों से बदनाम हुए चिकित्सा शिक्षा जगत में प्रदेश की इकलौती मेडिकल यूनिवर्सिटी का ये हाल गंभीर सवाल उठा रहे हैं। देखना होगा कि सरकार आखिर कब इस यूनिवर्सिटी पर नजरे इनायत करती हैं।