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यहां है यमराज का मंदिर, नरक चौदस पर होता है अभिषेक

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Oct 18, 2017

ग्वालियर : जिले में एक अनूठा यमराज का मंदिर हैं। जिसकी खासियत हैं कि इस मंदिर में दीपावली के एक दिन पूर्व यानि नरक चौदस पर विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं। यहां आने वाले लोगों का मानना हैं कि नरक चौदस पर यमराज के मंदिर पर पूजा आर्चना करने से नरक से मुक्ति मिलने के अलावा नरक में होने वाले कष्टों का प्रभाव कम हो जाता हैं। खास बात यह है कि भारत भर में यमराज के दो ही मंदिर हैं, जिसमें से एक ग्वालियर में हैं।

ग्वालियर किले की तलहटी में स्थित यह मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर हैं, जो तकरीबन 250 साल पुराना हैं और इसी मंदिर परिसर में यमराज की प्रतिमा स्थित हैं। जिनकी नरक चौदस यानि छोटी दीपावली के दिन विशेष पूजा आर्चना की जाती है। सुबह से ही मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला जारी हो जाता हैं, जो देर रात तक जारी रहता हैं।

शाम के समय यमदेव की प्रतिमा का दूध, दही, शहद और तेल से अभिषेक किया जाता हैं। अभिषेक के बाद यमदेव की विशेष पूजा आरती की जाती है। लोगों का मानना हैं कि साल में एक दिन आने वाली नरक चौदस पर पूजा करने से एक तो उनको नरक से मुक्ति मिलेगी, साथ ही नरक में होने वाले कष्ट भी कम हो जाएंगे।

जिस मंदिर में यमराज की मूर्ती विराजमान हैं, वो मंदिर भगवान मार्कंडेश्वर महादेव का है। जिन्होंने अपने भक्त मारकंडेय को यमराज के यमफांस से मुक्त कराया था, यही कारण है कि इस मंदिर में भगवान शिव और यमराज की अराधना करने से मनुष्य नरक की यातनाओं से मुक्त हो जाता हैं। नरक चौदस की विशेष पूजा के लिए कई लोग तो यहां दिल्ली और मुम्बई से भी आते हैं।

मंदिर के पुजारी मनोज भार्गव का कहना हैं कि नरक चौदस का अपना इसलिए महत्व हैं क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके उसके कब्जे से 16000 रानियों को मुक्त कराया था।

खास बात यह है कि भगवान के हाथों से मारे जाने के कारण राक्षस नरकासुर के लिए यमराज ने भी स्वर्ग के द्वार खोल दिए थे। यही कारण है कि नरक चौदस को यम चौदस के रूप में मनाया जाता हैं, ताकि मनुष्य को मृत्यु के पश्चात् नरक में होने वाली यातनाओं और पीड़ा से यमराज उन्हें मुक्त कर उनके लिए भी स्वर्ग का दरबाजा खोले।

यमराज और शनि देव दोनों ही भगवान सूर्य के पुत्र हैं और दोनों ही देव लोगों के अच्छे और बुरे कर्मो का परिणाम देते हैं। ये बात अलग है कि मृत्यु लोक में भगवान शनि देव जहां लोगों की राशी में आकर विचलित कर देते हैं, वही मृत्यु उपरांत भगवान यमराज मनुष्य द्वारा किए गए जीवनकाल के अच्छे बुरे का परिणाम देते हैं।