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निमाड़ मिर्ची की ब्रांडिंग को लेकर मिर्च उत्पादकों, व्यापारियों में उत्साह

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Mar 5, 2020

खरगौनः इस साल मिर्च की भरपूर फसल आने से खरगौन के कसरावद के जामखेडा गांव के संतोष अनोक चंद्र जैसे कई किसानों के लिये मिर्च तीखी नहीं मीठी साबित हुई है। मध्यप्रदेश के खरगौन जिले के सनावद के पास एशिया की दूसरी सबसे बडी मिर्च मंडी बेड़िया में इस बार अब तक 2.71 लाख क्विंटल की आवक हो चुकी है। इसका मूल्य 202 करोड है। निमाड़ की मिर्च रंग और तीखेपन के कारण अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी है। देश के भीतर और कई एशियाई देशों विशेष रूप से चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड और यूएई में भी भेजी जा रही हैं। खरगौन, धार, खंडवा, बड़वानी, अलीराजपुर जैसे जिलों से बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन होता है। मिर्च उत्पादक किसान निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिग को लेकर उत्साहित हैं और मानते हैं कि इससे मिर्च बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे।

निमाड़ की मिर्च को भौगोलिक पहचान मिलने से बाजार में इसका मूल्य बढ़ेगा

तीन दशकों से खरगौन और इंदौर में मिर्ची के व्यापार में सक्रिय फर्म एआर ट्रेडर्स के मालिक अब्दुल रहीम का कहना है कि निमाड़ की मिर्च को भौगोलिक पहचान मिलने से बाजार में इसका मूल्य बढ़ेगा। एक ब्रांड के रूप में इसकी मांग बढ़ेगी। निमाड़ी मिर्च की निर्यात की संभावनाओं की चर्चा करते हुए अब्दुल रहीम कहते हैं कि अभी हम सीधे निर्यात नहीं करते। यहां की मिर्च चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, सउदी अरेबिया और मलेशिया तक जाती है। किसानों का सहयोग मिले तो निर्यात को और तेज किया जा सकता है। उनका सुझाव है कि मिर्च मंडियों में किसानों और व्यापारियों के लिये और ज्यादा सुविधाएँ होना चाहिए।

मिर्च उत्पादन के आधुनिक तौर तरीकों की ओर रूझान

खरगौन के मंडी सचिव रामवीर किरार मिर्च की विशेषता के बारे में बताते हैं कि रंग, लंबाई, गंध और तीखापन से गुणवत्ता तय होती है। निमाड़ की मिर्च में रंग और तीखापन दोनों ही ज्यादा होता है। वे बताते हैं कि मिर्च उत्पादक किसानों में मिर्च उत्पादन के आधुनिक तौर तरीकों की ओर रूझान हुआ है। बड़े किसान भी कम से कम 50 प्रतिशत हिस्से में मिर्च लगा लेते हैं। छोटे रकबे वाले किसानों के लिये तो मिर्च वरदान साबित हो रही है। फिलहाल मंडी रेट 120-130 रूपये प्रति किलो चल रहा है जो पिछले तीन सालों में सबसे अच्छा है।