Aug 8, 2018
धर्मेन्द्र शर्मा - ग्वालियर जिले में इस बार भी शिक्षा के अधिकार अधिनियम यानी आरटीई के तहत अपेक्षा के मुताबिक प्रवेश नहीं हो सके हैं अधिकांश अभिभावकों ने मनचाहा स्कूल नहीं मिलने और निजी स्कूलों की मनमानी के चलते अपने बच्चों का प्रवेश स्कूलों में नहीं कराया है ग्वालियर जिले में करीब 1200 स्कूलों में 7689 बच्चों को इस बार प्रवेश किया जाना था लेकिन आवेदन 6706 ने ही किया जांच के बाद 3643 ही छात्र प्रवेश के लिए उपयुक्त पाए गए इनमें से भी अधिकांश लोगों ने इसलिए निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं लिया क्योंकि एक तो स्कूल उनके वार्ड से दूर थे अथवा उन्हें चाहा गया स्कूल आवंटित नहीं हुआ था।
195 बच्चों को बताया गया अपात्र
यही कारण है कि इस बार सिर्फ 1672 ही बच्चों का प्रवेश आरटीई के तहत इस बार हो सका है जबकि 195 बच्चों को अपात्र बताया गया है लेकिन शिक्षा विभाग का मानना है कि देर-सवेर वह आधी सीटों को भर सकेंगे इस बारे में कुछ लोग भी डीपीसी से मिले और अपनी गरीबी का हवाला देकर नजदीक के स्कूल में प्रवेश कराने की मांग की।
गरीब बच्चे लगा रहे दफतरों के चक्कर
डीपीसी ने इन लोगों को उचित कार्यवाही का भरोसा दिया है वही आरटीई के तहत एडमिशन की इच्छा रखने वाले अभिभावक मानते हैं कि जागरूकता के अभाव में लोग अपने बच्चों को इस नए नियम में प्रवेश नहीं दिला सके हैं स्कूल प्रबंधन भी ऐसे लोगों की मदद करने से बच रहे हैं यही कारण है कि गरीब वर्ग के बच्चे अफसरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।