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जिला शिक्षा अधिकारी ने 27 बालिकाओं को हॉस्टल छोड़ने के दिए आदेश, छात्रावास की 125 बालिकाओं का भविष्य अधर में

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Dec 10, 2019

दशरथ सिंह कट्ठा : पश्चिमी आदिवासी अंचल झाबुआ जिले के कस्तूरबा गांधी शासकीय छात्रावास की स्थिति दिन-ब-दिन बैपटरी होती हुई नजर आ रही। कभी इन होस्टल में रहने वाली बालिका फांसी के फंदे पर झूल जाती है तो कभी छात्रायें कलेक्ट्रेट कार्यालय पर हॉस्टल अधीक्षका के खिलाफ धरना आंदोलन करती है। ताजा मामला मेघनगर के कस्तूरबा गांधी हॉस्टल में बालिकाओं के दो गुटों के आपसी विवाद में जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश के बाद हॉस्टल की बालिकाओं को अवकाश पर जाने के आदेश दिए गए। जिसके बाद बालिकाओं के परिजनों में काफी रोष नजर आया। बालिकाओं को हॉस्टल से अवकाश देकर घर भेजने के बाद बालिकाओं के परीक्षाफल पर भी विपरीत परिणाम आने का आदेश है।

बालिकाओं की पढ़ाई पर विपरीत असर
छात्रावास में रहने वाली बालिका ने बताया कि दो गुटों में अक्सर झगड़े होते हैं सामने वाली बड़ी लड़कियां हमें डराती है और अश्लील बातें कहती है इतना ही नहीं बाथरूम में हमे ले जाकर गला घोटने तक की बात भी कहकर हमे धमकाती है। हॉस्टल की सीनियर बालिकाए हमारे कपड़ों में खुजली चलने वाली कीमच तक रख देती है। हॉस्टल अधीक्षका भी पिछले 24 तारीख से हॉस्टल में नहीं है हम अकेले कैसे रहे आगामी दिनों में परीक्षा भी है हमारी पढ़ाई ख़राब हो रही है। पूरे मामले को लेकर हॉस्टल की बालिकाओं के परिजनों ने रोष व्यक्त किया है उनका कहना है कि कुछ बालिकाओं के पास में वर्जित सामग्री प्राप्त हुई थी उन्हीं पर कार्रवाई करनी थी निर्दोष बालिकाओं पर कार्रवाई करके हॉस्टल खाली करा दिया गया जिससे बालिकाओं की पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ेगा।

कस्तूरबा बालिका विवाद
कस्तूरबा बालिका विवाद में जिम्मेदारों का कहना है कि छात्रावास की कुछ बालिकाएं  कलेक्टर से मिलने गई थी। जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश पर जब तक हॉस्टल अधीक्षिका की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक हॉस्टल को बंद करने के आदेश दिए हैं। परदे के पीछे कुछ सफेदपोश आवारा असामाजिक तत्वों भी निशाने पर आ सकते हैं।अब आवश्यकता है दृढ़ता से कड़ी जांच की। इसके बाद आगामी दिनों में परीक्षा है। यदि सख्त कार्रवाई की जाए तो बालिका फिर से अपना भविष्य गढ़ सकती है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा भी मध्य प्रदेश सरकार का साकार होता नजर आ सकता है।