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बैतूलः अज्ञात बीमारी के चलते एक ही परिवार के 5 सदस्य समय से पहले हुये बूढ़े

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Jun 7, 2019

युवराज गौर- बैतूल जिले के पलासपानी गांव में एक ऐसा परिवार भी है जिसकी हालत पूरे समाज, सरकार और प्रशासन को शर्मसार कर देगी। गरीबी, भुखमरी और एक अज्ञात अनुवांशिक बीमारी से जूझ रहे इस परिवार में एक बूढ़ी मां है, जो अपने 5 दिव्यांग बच्चों की पिछले 12 साल से किसी तरह सेवा कर रही है। अज्ञात अनुवांशिक बीमारी ने इस माँ के 5 बच्चों को समय से पहले बूढ़ा कर दिया है। इनमें 4 जवान बेटियाँ और एक बेटा शामिल हैं, जो हर दिन मौत की तरफ बढ़ रहे हैं। घर में खाने को एक दाना भी नहीं है और इलाज के नाम पर इन्हें प्रशासन से धोखा मिला है। इतने सबके बावजूद क्षेत्र के विधायक, सांसद, जिला प्रशासन को इनकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है।

18 से 25 साल उम्र के युवा पूरी तरह से कुपोषित

घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के पलासपानी गाँव में दिवंगत जुगल विश्वकर्मा का परिवार रहता है। 15 साल पहले जुगल की एक अज्ञात बीमारी से मौत हो गई। जुगल की पत्नी पर पांच जवान बच्चों की ज़िम्मेदारी थी, लेकिन इसके बाद जो हुआ वो बेहद दर्दनाक है। परिवार के पांच बच्चे भी एक-एक कर भरी जवानी में पिता की तरह उसी अज्ञात बीमारी की चपेट में आते गए और आज हालात ये है कि 18 से 25 साल उम्र के युवा पूरी तरह से कुपोषित हो चुके हैं और इनका पूरा शरीर अकड़ गया है। ये बच्चे ना चल सकते हैं और ना अपने दम पर बैठ सकते हैं। इनका केवल एक ही सहारा है और वो है इनकी बूढ़ी माँ मल्लो बाई, जिसे पिछले दिनों प्रशासन ने मदद का आश्वासन देकर भोपाल में अकेला भटकने के लिए छोड़ दिया।

प्रशासन व स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से किसी तरह की कोई सुविधा नहीं

मल्लो बाई गाँव के सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाकर अपने इन 5 लाचार बच्चों को पाल रही है लेकिन पिछले कुछ दिनों से हालात ये हैं कि मल्लो बाई का परिवार भुखमरी की कगार पर आ चुका है। अब तक ग्रामीण इनकी थोड़ी बहुत मदद कर देते थे लेकिन ये भी कब तक सम्भव होगा। जिन जिम्मेदारों को मदद करने आगे आना चाहिए वो अब तक गांव नहीं पहुंचे। पिछले दिनों इस परिवार की हालत उजागर होने के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने मल्लो बाई के बीमार बच्चों को भोपाल तो भेज दिया, लेकिन वहां हमीदिया अस्पताल और एम्स हॉस्पिटल में से भी इन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा। जिम्मेदारों ने दोबारा इनकी तरफ पलट कर भी नहीं देखा। जब इस संबंध में अधिकारियों से चर्चा की तो वो इन्हें दिल्ली ले जाने की बातें करने लगे।

बीमारी और भुखमरी की मार झेल रहा मल्लो बाई का परिवार किस पीड़ा से गुजर रहा है ये सोचकर ही रूह कांप उठती है, लेकिन सरकार, समाज और प्रशासन ने इस परिवार को उपेक्षित छोड़कर मानवता को शर्मसार कर दिया है।