Loading...
अभी-अभी:

रायसेनः इस बार गणेश चतुर्थी के लिए बनाये जा रहे हैं इको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियां

image

Sep 1, 2019

इलयास खान - रायसेन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से बच्चे और युवक युबतियाँ ने अपने हाथों से मिट्टी के इको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमाएं बनाई हैं। गणेश चतुर्थी पर इन मूर्तियों को अपने घर में विराजमान करेंगे। इतना ही नही मिट्टी से गणेश जी की जो प्रतिमा बनाई जा रही हैं उनमें तुलसी, गेंदा, मोगरा, गुलाब, समेत अन्य फूलों के पौधों के बीज को रखा जा रहा है ताकि लोग विसर्जन के दिन मिट्टी से बनी मूर्तियों को घर पर ही गमले में विसर्जित करें।

इको फ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा से पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं

सामान्य मिट्टी से बनी इको फ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमाओं की स्थापना स्वस्थ पर्यावरण के लिए जरूरी है ताकि हमारे जल स्त्रोत निर्मल बने रहें और इसके लिए सभी लोग मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमाओं को ही स्थापना करें। इससे पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान न हो। मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाएं स्थापित कर हमें पर्यावरण नदी, तालाबों तथा जलीय जंतुओं की रक्षा करनी चाहिए। गीली मिट्टी से गणेशजी की प्रतिमाओं को आकार दे रहे यह बच्चे सुंदर-सुंदर प्रतिमाओं को बनाने में तल्लीनता से लगे हैं। इनका कहना है कि मिट्टी से बनी प्रतिमाएं जलस्रोतों के पानी में अच्छी तरह से घुल जाती हैं और इनका किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है। यह नदी-तालाब की तलछट को प्रदूषित भी नहीं करती।

पीओपी की प्रतिमा पर हानिकारक रासायनिक रंग लगाए जाते हैं, इनका प्रयोग न करें

घरों में स्थापित की जाने वाली मूर्तियाँ पीओपी और रासायनिक रंगों से बनी होती हैं, जो विसर्जन पर पर्यावरण समस्याओं को जन्म देती हैं। पीओपी की परत जलस्रोतों की तली में जाकर सीमेंट की तरह जम जाती है और पानी को रिसने से रोक देता है। पीओपी की प्रतिमा पर हानिकारक रासायनिक रंग लगाए जाते हैं, ये जब पानी में घुलते हैं तो इनके विषाक्त प्रभाव से पानी में रहने वाले जलीय जन्तुओं और मछलियों के लिये घातक असर छोड़ते हैं। इससे हमारी नदियाँ, तालाब और अन्य जलस्रोत भी प्रदूषित होते हैं और उनका पानी उपयोग के लायक नहीं रह जाता है।