Loading...
अभी-अभी:

रतलामः सरकारी जिला अस्पताल, अव्यवस्थाओं के चलते स्वयं बीमार 

image

Jun 4, 2019

अमित निगम- वैसे तो किसी भी जिले का चिकित्सालय जिले के लोगों के स्वास्थ्य के लिए होता है। जहां लोग अपना इलाज स्वस्थ होने के लिए करवाने आते हैं, परंतु रतलाम का जिला चिकित्सालय एक ऐसा चिकित्सालय है, जो स्वयं अव्यवस्थाओं के चलते आईसीयू में नजर आ रहा है। रतलाम के जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों का मनमर्जी का खेल तो चल ही रहा है। दूसरी तरफ बीमार व्यवस्थाएं यहां की पोल खोलती नजर आ रही हैं। लगातार जिला प्रशासन रतलाम कलेक्टर के निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन यह बताता है कि यहां के चिकित्सक और व्यवस्थापक किस हद तक व्यवस्थाओं को बिगाड़ने में लगे हुए हैं।

जगह-जगह कचरे और गंदगी का ढेर बीमारियों को देता है निमंत्रण

चारों ओर गंदगी का आलम, सिविल सर्जन के ऑफिस के बाहर ही कचरे का ढेर, पीक की गंदगी का आलम, यहां की व्यवस्था दर्शा देती है और यही नहीं यहां पर आने वाले बीमार मरीजों को कई-कई घंटों चिकित्सकों के बंद दरवाजे के बाहर बैठकर उनका इंतजार करना पड़ता है। इस बीमार व्यवस्था के चलते मरीज अपनी बीमारी को लेकर वापस यहां से मायूस होकर चला जाता है। यह बात अलग है कि जिला चिकित्सालय के अधिकांश चिकित्सक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने-अपने नर्सिंग होम चला रहे हैं। वहां पर चाक चौबंद समय पर उपलब्ध रहते हैं, परंतु जिला चिकित्सालय की बात आती है तो यहां से नदारद आते हैं। यही कारण है कि यहां आए दिन मरीजों या उनके परिजनों का चिकित्सकों से विवाद होता रहता है। उन्हें चिकित्सा सुरक्षा अधिनियम का खामियाजा भुगतना पड़ता है।

डॉक्टर समय पर अपनी केबिन में उपलब्ध नहीं होते

कुछ ऐसा ही नजारा चर्म रोग विशेषज्ञ के कक्ष के बाहर देखने को मिला, जिसमें पेशेंट लंबी कतारों में बैठे थे, गर्मी में परेशान हो रहे थे परंतु 9:00 बजे खुलने वाला डॉक्टर का कक्ष, 9:30 बजे तक भी नहीं खुला था। इस प्रकार की व्यवस्थाएं सभी डॉक्टरों के चेंबरों के बाहर देखी जा सकती हैं। मध्यप्रदेश शासन ने जहां एक और ओपीडी का समय सुबह 9:00 बजे से शाम के 4:00 बजे तक कर दिया है, वहीं इसका पालन रतलाम चिकित्सालय में कहीं भी होता नजर नहीं आ रहा है। चिकित्सालय प्रशासन जिला चिकित्सालय को और बीमार बनाता नजर आ रहा है।