Jun 10, 2019
आकिब खान- कहते है अगर किसी काम की ठान ली जाए तो बड़े से बड़ा काम भी आसान हो जाता है। यह बात दमोह जिले के हटा के नगरवासियों पर एकदम सटीक बैठती है। शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हटावासी पिछले कई साल से मान-मनव्वल कर अपने नगर में साफ-सफाई, स्वास्थ्य व्यवस्था, पानी की समस्या से निजात पाने जैसी कई मांगों को लेकर अड़े रहे और आवाज बुलंद की, लेकिन किसी ने एक न सुनी।
जनप्रतिनिधियों व शासन प्रशासन की उपेक्षा के बाद नगरवासियों ने समस्याओं से निपटने का खुद उठाया जिम्मा
नगरवासियों ने स्वयं नगर में पनप रही समस्याओं से निपटने का बीड़ा अपने सर उठा लिया। यहां के नगरवासियों ने जब खुद आगे आकर समस्याओं से निपटने का बीड़ा उठाया तो अधिकारी भी शर्म के मारे इनके पीछे आ गए और इनके काम में हाथ बटाने लगे, लेकिन सरकारी कर्मचारियों की मदद से समस्याओं का निपटारा नहीं कराया। हटा के बाशिंदों ने स्वयं ही नगर में पनप रही समस्याओं से निपटने का बीड़ा उठाया तो सबसे पहले तालाब में श्रमदान करते हुए, ट्रेक्टर ट्राली से मिट्टी पाटकर, खुद फावड़ा लेकर तालाब की सफाई की और तालाब को स्वच्छ साफ बनाने में लग गए और एक एक कर नगर के निम्न तालाबों की सफाई कर उन्हें गंदगी मुक्त किया। इसके बाद नगर के वो वार्ड जो जलसंकट से जूझ रहे हैं वहां के वार्डो की बावड़ियों में जगह-जगह स्वयं के व्यय पर हेण्डपम्प लगाए, जिससे लोगों को पानी की समस्या से राहत मिले। इसके बाद हटा की सिविल अस्पताल में जाकर सभी ने साफ सफाई, बंद पड़े कूलर, पंखों को चालू कर चोक पड़े टैंक नालियों की सफाई की और गड्डो में भरे गंदे पानी को जेसीबी मशीन के सहायता से उस जगह को स्वच्छ की।
सरकारी पैसा अधिकारियों की मिलीभगत से बंदरबांट कर लिया जाता है
दरअसल सरकारी अस्पताल में फंड भी रहता है और मरम्मत के लिये पैसा भी आता है लेकिन वह पैसा अधिकारियों की मिलीभगत से बंदरबांट कर लिया जाता है जिससे हटा अस्पताल की हालत खस्ता हो चली है। सरकार भले ही समूचे नागरिकों का कल्याण के लिये तरह-तरह की योजनाएं बना रही हो लेकिन इनके कारिंदे खुद योजनाओं को पलीता लगाते नजर आते हैं। हटा में शुरू से ही लोग पानी, स्वच्छता और अपने शहर की समस्याओं को लेकर काफी परेशान हैं, जबाबदेह चुप्पी साधे बैठे हुए हैं।