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आठनेरः मामला हिडली अग्निकांड का, अग्निकांड के पीड़ित घायल अपने इलाज के लिए त्रस्त

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Aug 30, 2019

विजय प्रजापति- 12 मई की बारात जिसने ग्राम हिडली सहित आसपास के सभी लोगों को   झझोड़कर कर रख दिया। ऐसी अग्निकांड की घटना पूरे जिले में आज तक कहीं नहीं हुई थी जिसमें लगभग 45 लोग झुलस गए और जिनमें से तीन लोगों की अब तक मृत्यु हो चुकी है। शासन, प्रशासन एवं ग्रामीण लोगों ने, समाजसेवी ने पीड़ित लोगों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। पीड़ित लोगों में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनकी आज भी स्थिति अत्यंत दयनीय है। जिन्हें अपने इलाज, घर परिवार की देखरेख करने के लिए यहां तक कि बच्चों को और खुद के खाने के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत हिडली और ग्रामीणों की मदद से मक्का पीड़ित परिवार को दी जा रही है, जिन्हें खाकर अपना गुजारा जैसे तैसे करने को मजबूर हैं।

महिला अपना मंगलसूत्र सहित सोने के जेवर बेचकर पति की इलाज करने को है मजबूर

गौरतलब है कि अग्निकांड में जोर से बहुत से लोगों में जो संपन्न है और जिनकी सामाजिक रूप पर मदद की जा चुकी है। उन्हें शायद उपयोग की आवश्यकता पड़े ना पड़े, किंतु एक परिवार ऐसा भी है जहां खाने के लाले पड़े हुए हैं। पीड़ित हरिजन समाज का साहेबलाल पिता ढूंढो राखड़े की पत्नी श्रीमती अंजलि ने अपना मंगलसूत्र कान, नाक के सोने के जेवर और पैरों की पायल तक अपने पति के इलाज के लिए बेच दिए। परिजनों और कुछ ग्रामीणों की मदद से लगभग 2 से ढाई लाख रुपए इलाज में खर्च कर चुकी हैं और कुछ रुपयों का कर्जा अपने सर पर लेकर मेहनत मजदूरी कर रही हैं, लेकिन क्षेत्रीय विधायक धरमु सिंह सिरसाम, स्थानीय नेतागण और प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी अपनी आंखें मूंदे बैठा है। आलम यह है कि पीड़ित परिवार को दयनीय स्थिति से प्रतिदिन गुजरना पड़ रहा है।

मासूम नाबालिक बच्चे मजदूरी कर पिता के स्वास्थ्य के लिए जुटा रहे पैसे

वहीं देखा जाए कि जिन मासूमों के हाथों में किताबें और अपने भविष्य को सुधारने के लिए स्कूल जाना की आवश्यकता इस उम्र में है, वहीं वह बेचारे अपने पिता की देखरेख और उनके इलाज के लिए यहां-वहां मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं। विविध साहेबलाल के 5 बच्चे हैं जिनमें 2 बच्चे, एक 5 वर्ष का और दूसरा 3 वर्ष का है और 3 बच्चे लगभग 10 वर्ष से 15 वर्ष की, जो तीनों बच्चियां मेहनत मजदूरी कर पैसे जुटा रही हैं जिससे कि जल्द से जल्द उनके पिता स्वस्थ हो जाएं। यही उम्मीद लेकर हर दिन अपने घर से निकलती है। माता यहां-वहां मजदूरी करते हुए बच्चों का, पति का ध्यान रखकर जैसे-तैसे घर चला रही है। लंबा समय बीतने के कारण धीरे-धीरे लोग भी उस परिवार को भूलते जा रहे हैं। किसी का ध्यान उस परिवार की ओर नहीं पड़ रहा है, न ही उस परिवार की दयनीय स्थिति और बच्चों का भविष्य की ओर जा रहा है।

कहीं हरिजन होने के कारण तो नहीं हो रही इलाज में लापरवाही

जातिगत समीकरणों के आधार पर देखा जाए तो जितने भी आगजनी में पीड़ित हुए और जिनकी मृत्यु हुई, उन सभी व्यक्ति व मृतकों के परिजनों को ₹400000 की सहायता राशि भी प्राप्त हो चुकी है। साहू समाज के जितने भी पीड़ित लोग हैं, उनका इलाज भी सक्रिय समाज संगठन और समाजसेवी द्वारा किया जा रहा है और पूर्व में भी लाखों रुपए की राशि नगरवासियों एवं आसपास के सभी लोगों की सहायता से हिडली अग्निकांड के पीड़ितों को पहुंचाई जा चुकी है। प्रश्न यह उठता है कि इस दलित साहेबलाल का कर्ता बनकर कौन उभरेगा। कहीं ऐसा तो नहीं की साहेबलाल और उसके परिवार को हरिजन होने का यह परिणाम देखने को मिल रहा है कि लोग बिना कुछ कहे धीरे-धीरे उस परिवार से दूरियां बना रहे। जबकि उस परिवार को आज सहयोग की अत्यंत आवश्यकता है। मानवता यह कहती है कि जात-पात से ऊपर उठकर सभी समाजसेवियों और संगठनों और राजनेताओं को इस परिवार का भी ध्यान रखना चाहिए। साहेबलाल राखड़ी को उसका पूरा इलाज सही समय पर और उसकी खानपान की पूरी व्यवस्था और उसके परिवार की भी व्यवस्था का ध्यान रखने की पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होनी चाहिए।