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सतनाः आदिवासियों के आशियाने पर जमकर चला बुलडोजर, बेघर हुये आदिवासी

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Sep 4, 2019

वरूण शर्मा - जिले के मैहर तहसील के भटिगवा गांव में चरनोई भूमि पर वर्षो से आबाद आदिवासियों के आशियाने पर जमकर बुलडोजर चला। दो दर्जन आदिवासी परिवार के आशियाने उजाड़ कर चरनोई भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया। दरअसल गाँव के रघुनाथ पटेल ने इस जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने जिला प्रशासन को जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के आदेश दिए। इसी आदेश के परिपालन में कल जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम ने अतिक्रमण हटाया, पर इस मामले में सब से चौकाने वाली बात ये थी कि यहां आदिवासियों के प्रधानमंत्री आवास को भी अतिक्रमण माना गया और उन्हें भी धराशाई कर दिया गया। प्रशासन की इस कार्यवाही का आदिवासियों ने विरोध किया। विरोध कर रहे आदिवासियों को बलपूर्वक दबा दिया गया। बरसात के मौसम में बिना पुनर्वास की व्यवस्था के आदिवासियों को बेघर कर दिया गया। आदिवासी परिवार के करुण क्रंदन से जिला प्रशासन का दिल नहीं पसीजा और न्यायालय के आदेश का पालन कर कोट ऑफ कंटम से जिला प्रशासन बच गया। हालांकि इस जमीन पर एक दर्जन से ज्यादा दबंग खेती कर रहे हैं, उन्हें अतिक्रमण की इस कार्यवाही से मुक्त रखा गया। जिसको लेकर आदिवासी परिवार और नाराज है और प्रशासन पर भेदभाव करने के आरोप लगा रहे हैं।

पीड़ित आदिवासियों को गृहस्थी का सामान निकालने तक का मौका नहीं दिया

जिले के भटिगवा गांव में चारागाह के लिए आरक्षित भूमि वर्षो से अतिक्रमण की चपेट में थी। दो दर्जन अधिवासी परिवार यहां कब्जा कर आवास बनाकर रह रहे थे तो कुछ जमीन पर गांव के लोग खेती भी कर रहे थे। गाँव के रघुनाथ पटेल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने की अपील की। न्यायालय ने जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश जिला प्रशासन को जारी किए। जिला प्रशासन इस आदेश को लेकर गंभीर नहीं हुआ और  याचिकाकर्ता ने कोट ऑफ कंटम की नोटिस जारी कराई। ऐसे में जिला प्रशासन वचाव की मुद्रा में आया और दल-बल के साथ अतिक्रमण हटा दिया। न किसी को सामान निकलने का समय दिया और न ही उनकी बात सुनी। जिस किसी ने विरोध करने की कोशिश की, उन्हें बलपूर्वक रोक दिया। इतना ही नहीं आदिवासियों के चार प्रधानमंत्री आवास में भी बुलडोजर चला दिया गया। जिनके लिए सरकार ने राशि दी थी, मगर उन दबंगो के कब्जे को नजरअंदाज किया गया जो इसी जमीन पर वर्षो से कब्जा कर खेती कर रहे हैं। पीडित आदिवासी की माने तो उनके घर गृहस्थी का सामान तक नहीं निकालने दिया गया।