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केदारेश्वरधामः प्रकृति स्वयं 12 महीने करती है भगवान शिव का जलाभिषेक

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Mar 4, 2019

अभिषेक शर्मा- मध्यप्रदेश की प्रथम पर्यटक नगरी शिवपुरी जिला मुख्यालय से 33 किमी की दूरी पर प्राकृतिक स्थल केदारेश्वरधाम जो कि पोहरी तहसील मुख्यालय से मात्र 3 किमी की दूरी पर शुक्ला नदी पर स्थित है। इस प्राकृतिक स्थल की सुंदरता में यहां पर स्थित हरे-भरे जंगल और पहाड़ चार चाँद लगा रहे हैं। पहाड़ी के बीचों बीच स्थित केदारेश्वर महादेव का मंदिर जिसमें प्राकृतिक छोटी गुफा के अंदर भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग बना है और इसी छोटी गुफा के ऊपरी हिस्से पर पहाड़ से निकली हुई शीतल जल धारा वर्षभर भगवान शिव का प्राकृतिक जलाभिषेक करती है। साथ ही यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर धार्मिक मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तगण उमड़ते हैं। पुलिस एवं प्रशासन द्वारा मेले से पूर्व सुरक्षा की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली जाती हैं, जिससे यहां आने वाले भक्तगणों को कोई परेशानी न हो।

पाँच सौ वर्ष पूर्व का माना जाता है केदारेश्वर धाम का इतिहास
केदारेश्वरधाम के इतिहास 500 वर्ष पूर्व का बताया जाता है। बताया जाता है कि इस प्राचीन मंदिर पर स्वयं योगेश्वर महादेव विरजमान हैं। प्राचीन समय में सिद्ध सन्त श्री मंगलदास महाराज को सपने में भगवान शिवजी ने बताया कि मैं लिंग स्वरुप में पहाड़ों के बीच में विराजमान हूं, मुझे निकालो। इसके बाद संतश्री ने तत्काल पोहरी के शासक राजा नवल खांडेराव को अपने स्वप्न के बारे में बताया। जिसके बाद राजा ने पहाड़ की खुदाई कराई, जिसमें भगवान शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। राजा ने तत्काल ही पहाड़ों पर मंदिर का निर्माण शुरू करवा दिया था। 500 वर्ष प्राचीन मंदिर शुक्ला नदी पर स्थित है, जिसके दूसरी ओर पोहरी हुआ करती थी, जो आज बूढ़ी पोहरी के नाम से विख्यात है। प्राचीन मंदिर जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जिले सहित प्रदेश में भी विख्यात है। मंदिर के चोरों ओर पहाड़ी होने के चलते पहाडियों के बीच से जल निरंतर गिरता रहता है। शिव लिंग के ठीक सामने ही एक कुण्डी है जिससे भक्तजन जलाभिषेक करते हैं, जो गुप्त गंगा के नाम से प्रसिद्ध है।