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बड़वानीः ब्लड बैंक में रक्त का अभाव, मरीज हो रहे परेशान

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Apr 3, 2019

सचिन राठौड़- जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों को ब्लड के लिए परेशान होना पड़ रहा है। ब्लड बैंक में मात्र 8 यूनिट ब्लड बचा हुआ है। ब्लड बैंक के भरोसे ही खून के लिए पहुंच रहे मरीजों के परिजनों को डोनर साथ नहीं होने से बिना ब्लड के वापस लौटना पड़ रहा है। यहां तक कि मरीज के परिजन और परिचित भी ब्लड देने से कतरा रहे हैं। ऐसे में सिकलसेल ग्रसित मरीजों सहित महिला अस्पताल में ऑपरेशन केस के मरीजों की फजीहत हो रही है।

सिकलसेल व एनिमिया पीडि़त  लोगों को नहीं मिल पा रहा रक्त

जिले में  सिकलसेल से ग्रसित मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। इन बीमारियों के मरीजों को हर माह एक से दो यूनिट ब्लड चढ़ाना बहुत आवश्यक होता है। वहीं, आदिवासी बाहुल्य जिले में महिलाएं एनिमिया पीडि़त भी है। जिसके कारण गर्भवती महिलाओं को भी ब्लड लगाना पड़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार हर प्रतिदिन सिकलसेल व गर्भवती महिलाओं के लिए 10 से 15 यूनिट ब्लड रोज लग रहा है। सिकलसेल के मरीजों को नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। ब्लड बैंक में ब्लड नहीं होने से इन बीमारियों के मरीजों को ब्लड नहीं मिल पा रहा है। वहीं इनके रिलेटिव वालो को ब्लड डोनट करने के बाद ब्लड दिया जा रहा है। समाजसेवी अजीत जैन की माने तो जागरुकता की कमी से नहीं मिलता ब्लड। कहने को रक्तदान महादान का नारा दिया जाता है, लेकिन बड़वानी जिले में रक्तदान के लिए अभी भी उतनी जागरुकता नहीं आ पाई है, जितनी होना चाहिए। मरीज के साथ आने वाले सगे रिश्तेदार और परिचित भी ब्लड देने से कतराते है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में गरीब और मजदूरी पेशा वर्ग के लोगों का मानना है कि रक्तदान करने से उन्हें कमजोरी आ जाएगी। जिसके चलते ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ ब्लड बैंक के भरोसे ही अस्पताल पहुंचते हैं और परेशान होते हैं।