Feb 1, 2018
दमोह। मध्यप्रदेश में अब सरकार और भाजपा के खिलाफ लोगों का आक्रोश सार्वजनिक होने लगा है एक एक कर पूरे प्रदेश से सरकार के खिलाफ बिगुल बज रहा है तो आज से प्रदेश भर के अतिथि शिक्षकों ने स्कूलों का बहिष्कार कर दिया है और सड़कों पर आकर अभियान चलाया है की वो भाजपा और सरकार के खिलाफ लोगों से वोट की अपील करेंगे ।
एमपी में ये साल चुनावी साल है और चुनावी साल का असर अब दिखने भी लगा है सालों से सरकार के खिलाफ शान्ति रखने वाले लोग अब बेखौफ होकर बगावती तेवर अपना रहे है। कुछ दिन पहले स्टूडेंट्स ने भाजपा और सरकार के खिलाफ शपथ ली तो तीन दिन पहले अतिथि शिक्षकों ने और आज फिर एक बार सामूहिक रूप से सैकड़ों गेस्ट टीचर्स ने शपथ लेकर सड़कों पर अपना आक्रोश जाहिर किया मामला दमोह जिले के हटा से शुरू हुआ है। जहाँ बड़ी तादात में जमा हुए प्रदेश भर के अतिथि शिक्षकों ने सामूहक शपथ ली की वो भाजपा के खिलाफ चुनावी प्रचार करेंगे और आज एक फ़रवरी से उन्होंने स्कूलों में पढ़ाने का बहिष्कार कर दिया है।
दरअसल प्रदेश के सरकारी स्कूल गेस्ट टीचर्स के भरोसे चल रहे है और प्रदेश में लगभग सवा लाख गेस्ट टीचर्स हैं और बीते दस सालों से ये अपने लिए परमानेंट करने की मांग कर रहे है गेस्ट टीचर्स का आरोप है की सरकार ने उनकी हमेशा अनदेखी की और हर बार कोरे आश्वासन मिले और अब मजबूरन उन्हें ये कदम उठाना पड़ रहा है। आज से स्कूलों का बहिस्कार करने के बाद गेस्ट टीचर्स ने इसे अनिश्चितकालीन स्ट्राइक बताया है। और जिसका विधिवत ज्ञापन उन्होंने रैली निकालकर हटा के एस डी एम् को देकर सरकार को सूचित किया है।
गेस्ट टीचर्स के ये तीखे तेवर बेहद ख़ास माने जा रहे है जबकि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वार्षिक परीक्षाओं के लिए महज 25 से 30 दिन बचे है। ऐसे में गेस्ट टीचर्स के हवाले रहने वाले अधिकाँश स्कूलों में पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था चौपट हो जायेगी वहीं इसके अलावा सूबे में चुनाव के लिए भी कुछ ही महीने है और अतिथि शिक्षकों का संकल्प भी सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है।