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नर्मदा बचाओ आंदोलन के तहत मेधा पाटकर ने हजारो मजदूरों के साथ श्रम आयुक्त कार्यालय पर किया प्रदर्शन

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Oct 10, 2018

विकास सिंह सोलंकी - दरअसल सेंचुरी यार्न व डेनिम जींस की यह बेहतरीन उत्पादन की फैक्ट्री में 1200 श्रमिक कार्यरत है और पिछले कुछ सालों से अचानक इनके कागजात ‘फर्जी’ घोषित करके लगभग 300 मजदूरों को नौकरी से हटाया गया है। यह अन्याय है, कहकर मजदूरों ने आवाज उठाया, जो चार मजदूर संगठन इसमें है, उन्होंने समझौता किया लेकिन आज तक उस पर भी अमल न होने से ये परिवार अभी तक न्याय से वंचित हैं।

कंपनी को बेचने की चल रही खबर

पिछले कुछ महीनों से अचानक सेंचुरी को वेयरइट नामक कंपनी को बेचने की खबर चल रही है वेयरइट नामक कंपनी को बेचेंगे तो हम नहीं रहना चाहेंगे, यह एक राय से तय करने वाले श्रमिकों का कहना है कि वेयरइट कंपनी कई जगह मजदूरों को झाँसा देकर, बिना कोई मुआवजा, कंपनी से निकालती आयी है इसलिए उनके साथ काम करना यानि खुद व आजीविका को संकट में डालने या यूँ समझे अपने आप को बेच देना है, यह हम नहीं चाहते है हमें बिरला के साथ काम करना मंजूर है।

VRS नकार दिया गया

बुनियादी बात यह भी है कि बिरला समूह ने 17/08/2017 के दिन देर रात 2.30 बजे शासकीय अधिकारी राजनीतिक नेता, मजदूर संगठनों की उपस्थिति में यह वक्तव्य निकाला कि ‘सेंचुरी मिल अपना कारोबार सुचारू रूप से चलाएगी अगर लीज या बिक्री पर कंपनी किसी और को सौंपी गयी, तो मजदूरो को VRS (स्वैच्छिक निवृत्ती योजना) का लाभ दिया जाएगा। इसके मात्र 5 दिन बाद वेयरइट को सेंचुरी मिल बेचीं गयी लेकिन VRS नकार दिया गया।

नेताओं ने किया समर्थन प्रकट

बता दें की बिक्री मजदूरों के साथ साफ़-साफ़ धोखा है, जिससे आहत हो सभी एकजुट होकर अपनी लड़ाई संगठित रूप से आगे ले जायेंगे ऐसा संकल्प लिया नर्मदा बचाओ आन्दोलन से कमला यादव, मुकेश भगोरिया, मेधा पाटकर व नर्मदा घाटी के अन्य बाँध प्रभावितों ने भी इस अन्याय के खिलाफ मजदूरों के संघर्ष का समर्थन किया संजय चौहान, राजकुमार दुबे, व मजदूर संगठनों के कुछ नेताओं ने अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए संघर्ष को अपना समर्थन प्रकट किया।