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खनिज मंत्री के गृह जिले में हो रहा अवैध रेत उत्खनन, प्रशासन मौन

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Mar 30, 2018

जवा तहसील मुख्यालय के सितलहा जवा घाट में बना पुल अवैध रेत उत्खनन का शिकार हो रहा है। रेत का नदी से अवैध उत्खनन किया जा रहा है यह अवैध उत्खनन महज पुल से 50 मीटर की दूरी पर दोनों तरफ नाव द्वारा किया जा रहा है जिससे कभी भी पुल क्षतिग्रस्त हो सकता है। परंतु जिले का खनिज अमला और प्रशासन, पुल के अस्तित्व को संकट में डालने वाले रेत माफिया के सामने घुटने टेके नजर आता है।

रेत माफियाओं के सामने प्रशासन ने टेके घुटने
तराई अंचल में टमस नदी पर बालू माफिया के अवैध कारोबार के सामने किस कदर प्रशासन ने घुटने टेक रखे हैं इसका प्रमाण टमस नदी के विभिन्न घाटों में चल रहा दिन रात अवैध उत्खनन दे रहा है। सिर्फ सितलहा पुल के पास अवैध उत्खनन नही हो रहा है सितलहा घाट से लेकर त्योंथर तक बूची घाट, भुनागांव घाट, झलवा घाट, अकौरी घाट, बाराह कोनिया घाट यह सब अवैध घाट है जिनका कोई भी ठेका नहीं है और बेधड़क अवैध बालू उत्खनन हो रहा है।

व्यापक पैमाने पर टमस नदी से हो रहा रेत का दोहन
जनता का कहना है कि बालू नाव से तो निकाला ही जाता है लेकिन कभी कभी तो बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर बालू निकाला जाता है और पोकलैंड और जेसीबी मशीनों से लोड किया जाता है। अवैध बालू का परिवहन यूपी इलाहाबाद तक हो रहा है क्योंकि यूपी खदानों में यूपी सरकार रोक लगाई हुई है इसलिए पूरा बालू जवा तहसील से ले जाया जा रहा है इस तरह व्यापक पैमाने पर टमस नदी से रेत का दोहन किया जा रहा है। 

दिन भर में इन चार पांच घाटों से हजारों ट्रैक्टर बालू अवैध रूप से उत्खनन किया जा रहा है जबकि शासन द्वारा पूरी तरह टमस नदी घाटों में बालू निकालना प्रतिबंधित है। लेकिन खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चौबीसों घंटे चल रहा है। कई बार लोगों की शिकायत पर त्योथर एसडीएम ने खनिज जिला अधिकारी को फोन पर कहा कि तीन घाटों में अवैध उत्खनन हो रहा है आप संयुक्त रूप से कार्यवाही करते हैं लेकिन जिला अधिकारी ने कभी भी कोई कार्यवाही नहीं की।

जवा थाने के पास में ही चल रहा अवैध उत्खनन
जवा थाने से महज आधा किलो मीटर की दूरी पर ही अवैध गोरखधंधा चल रहा है। यही नहीं  थाने के सामने से दिनभर अवैध बालू से लदे ट्रक हाइवा डम्फर दिनभर निकलते रहते हैं लेकिन  जवा पुलिस अपनी आंखें बंद की हुई है। यही नहीं कुछ सिपाहियों के द्वारा अवैध इंट्री भी वसूली जाती है। इसी वजह से शायद कोई कार्यवाही नहीं हो रही है,इससे साफ जाहिर होता है कि खनिज अधिकारी रीवा एवं पुलिस विभाग की मिलीभगत से अवैध रेत निकासी और व्यवसाय का  गोरखधंधा फल फूल रहा है। और प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

पुल पर अस्तित्व का संकट
ऐसे प्रशासनिक रवैये से शासन को राजस्व की तो हानि हो ही रही है साथ ही सितलहा घाट का पुल पर भी अस्तित्व का संकट मंड़राने लगा है। कभी भी किसी भी समय पुल धसक सकता है।ऐसे में अगर पुल के साथ कोई दुर्घटना होती है तो कौन जवाबदार होगा। यह बड़ा सवाल जनता के सामने है?