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रतलामः दुष्कर्म मामले को पुलिस ने रखा चिन्हित अपराध की श्रेणी में, बाल अपचारी पर एक और धारा बढ़ी

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Oct 2, 2019

अमित निगम - नाबालिग स्कूली छात्रा से दुष्कर्म के मामले को रतलाम पुलिस ने जघन्य और सनसनीखेज मामला मानते हुए चिन्हित अपराध की श्रेणी में रखा है। पुलिस ने जहां इस मामले में पिछले दिनों विवेचना के बाद धाराएं बढ़ाई हैं, वहीं न्यायालय की अनुमति के बाद बाल अपचारियों से पूछताछ भी की है। पुलिस के अनुसार पूछताछ में बाल अपचारियों ने घटना के दिन पीड़िता के घर से रुपए चोरी करने की बात भी स्वीकार की है। जिसकी पृथक से जांच की जा रही, दोनों के खिलाफ धारा 380 का इजाफा भी किया जाएगा। इस मामले में एसपी द्वारा गठित एसआईटी ने जांच के दौरान कई भौतिक एवं वैज्ञानिक साक्ष्य भी एकत्रित किए हैं। जिससे आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत एकत्रित हुए हैं।

दोष सिद्ध होने पर आरोपियों को हो सकती है मृत्युदंड या आजीवन कारावास तक की सजा

बुधवार शाम को पुलिस कंट्रोल रूम पर आयोजित पत्रकार वार्ता में एसपी गौरव तिवारी ने यह जानकारी दी। एसपी ने बताया कि उनके द्वारा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी की विवेचना में संकलित साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए कई धाराओं में इजाफा किया गया है। जिसमें दोष सिद्ध होने पर आरोपियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास तक की सजा भी मिल सकती है। पुलिस मामले में शामिल बाल अपचारी को अबोध श्रेणी में न मानते हुए व्यस्क अपराधी की तरह ट्रायल किए जाने के लिए भी आवश्यक कार्रवाई कर रही है। इस मामले में अभी तक 7 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि घटना को अंजाम देने वाले दोनों बाल अपचारियों को न्याय बोर्ड के सामने पेश करने के बाद बाल संप्रेक्षण गृह भेजा गया है। बाल अपचारी का पुलिस रिमांड लेने का कोई विधिक प्रावधान नहीं है, लेकिन पुलिस और अभियोजन पक्ष ने न्यायालय के सामने दोनों बाल अपचारी से पूछताछ की अनुमति के आवेदन लगाया। जिसके बाद न्यायालय ने पुलिस को विधि विरुद्ध बालकों से दोबारा पूछताछ करने का अवसर एवं वॉइस सैंपल लेने के लिए बाल संप्रेषण गृह से बाहर निकालने की अनुमति दी। एसपी ने बताया कि मध्यप्रदेश में इस तरह की अनुमति मिलने का यह पहला मामला है।

बाल अपचारी से पूछताछ में उन्होंने पीड़िता के घर चोरी की बात भी स्वीकारी

एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि 1 अक्टूबर को विधि विरुद्ध बालकों से उनके परिजनों, न्याय बोर्ड के सदस्यों एवं स्वतंत्र साक्षियों के समक्ष लगभग 8 घंटे तक पूछताछ की गई । इसमें भी उन्होंने घटना की पुष्टि करते हुए कथन दिए एवं घटना के दिन पीड़िता के घर की अलमारी से 2 हजार रूपए चोरी करना भी स्वीकार किया है। जिसकी पृथक से जांच की जा रही है। धारा 380 के तहत चोरी के प्रकरण का इजाफा किया जाएगा। एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि बाल अपचारियों ने पीड़िता को ब्लैकमेल कर उसके सोने के टॉप्स भी ले लिए थे, पुलिस ने यह टॉप्स भी जब्त कर लिया है।

भौतिक एवं वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्रित किए

एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि इस मामले में सभी बिंदुओं पर जांच कर भौतिक और वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित करने के लिए एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी में फारेसिंक, सायबर और लीगल एस्कपर्ट को शामिल किया गया है, ताकि आरोपियों को भौतिक साक्ष्यों के आधार पर कड़ी से कड़ी सजा मिल सकें। एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि एसआईटी ने जांच के दौरान कई भौतिक एवं वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्रित किए हैं। खासतौर से बाल अपराधों से जब तो मोबाइल की रिकॉर्डिंग, मोबाइल मेमोरी से जब्त फोटो, सोशल साइट पर इनकी चैटिंग, ब्लैक मेलिंग, सीडीआर, एनालिसिस से इनकी प्लानिंग एवं सीसीटीवी फुटेज से इनकी मौजूदगी आदि चीजें स्टेबलिश हुई है और आरोपी खिलाफ पुख्ता भौतिक साक्ष्य मिले हैं। एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि घटनास्थल का सूक्ष्मता से जांच करने एवं साक्ष्य संकलित करने में पुलिस एवं फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने लगभग 2 दर्जन से अधिक आर्टिकल जब्त किए हैं। जिन्हें डीएनए परीक्षण के लिए स्पेशल प्रयोगशाला भेजा गया है। आरोपियों के वॉयस सैंपल, फोन रिकॉर्डिंग से मिलान के लिए एकत्रित किए जा चुके हैं जो परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजे जाएंगे।

अभी जारी है विवेचना

एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल, घटना में प्रयुक्त बाइक, कपड़े, बेडशीट सहित अन्य वस्तुएं जब्त की है। प्रकरण की विवेचना धारा 363, 366(ए), 449, 384, 506, 376(2)(एन), 376-डी(ए), 120 बी भादवी की धारा 5(एल)-6, 5 (जी)-6, 17,15(1)  लैगिंग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 इसके अलावा 67 बी(बी) आईटी एक्ट के अंतर्गत विवेचना की जा रही है। एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि एसआईटी द्वारा प्रकरण में लगातार विवेचना की जा रही है। विवेचना के दौरान नए साक्ष्य, नए तथ्य आने पर प्रकरण में अन्य धाराओं में इजाफा किया जा सकता है और गिरफ्तार आरोपियों का पुलिस रिमांड भी बढाया जा सकता है।