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शहडोलः ना एंबूलेंस ना शव वाहन, कंधे में ले जाना पड़ा शव

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May 26, 2019

इरफान खान- बीती रात मुख्यालय से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर ग्राम अंतरा में ट्रैक्टर की ठोकर से एक युवक की मौत हो गई। मृतक पुरषोत्तम कोल को परिजन जिला चिकित्सालय ले आये। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजन पूरी रात अस्पताल में पड़े रहे और सुबह होने का इंतजार करते रहे ताकि शव का पोस्टमार्टम हो सके। वहां से वे शव को अंतिम क्रिया के लिये ले जा सकें, लेकिन रविवार की सुबह गमगीन परिवारजनों के लिये आसान नहीं थी।

कमिश्नर ने अस्पताल का निरीक्षण किया था जिसमें कई खामियां पाई गई

परिजन सुबह से ही डॉ. कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टरों और वहां के वार्ड स्टाफ से मिन्नत करते रहे कि उन्हें शव को पोस्टमार्टम घर तक ले जाने के लिये वाहन दे दिया जाये लेकिन किसी स्टाफ व अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी। मजबूरन शव को एक स्टेचर में लेकर ग्रामीण और परिजन कलेक्ट्रेट पहुंच गये और वहां जमकर नारेबाजी कीष रविवार होने के कारण कलेक्ट्रेट परिसर में कोई अधिकारी नहीं मिला तो परिजनों ने कमिश्नर को फोन पर पूरे मामले को बताया। जिसके बाद वहां एसडीएम जरुर पहुंच गये लेकिन फिर भी शव वाहन ना मिल सका। परिजनों को स्टेचर को अपने कंधों के सहारे पोस्टमार्टम घर तक ले जाना पड़ा। पिछले कुछ दिनों से जिला चिकित्सालय में भवन कार्य चल रहा है जिससे पोस्टमार्टम घर तक कलेक्ट्रेट परिसर से होकर जाना पड़ रहा है जो काफी दूरी पर है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन कि व्यवस्था की पोल खुल रही है। एक दिन पहले ही कमिश्नर ने अस्पताल का निरीक्षण किया था जिसमें कई खामियां पाई गई थीं। जिस पर उन्होंनें कार्यवाही के निर्देश भी दिये थे लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ, इस घटना ने साफ सिद्ध कर दिया है। वहीं सुदूर इलाकों से बेहतर इलाज के लिये आ रहे गरीब ग्रामीण अस्पताल प्रबंधन की इन व्यवस्थाओं के आगे बेबस हैं।