Jul 3, 2018
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें करोड़ों रूपए खर्च कर रही है लेकिन ग्वालियर अंचल का सबसे बड़ा जयारोग्य अस्पताल अब सुविधाओं के नाम पर गरीबों की जेब खाली करने की योजना बना रहा है। अब चिकित्सालय में पहुंचने वाले मरीजों को सुविधाओं के लिए पहले से दो गुना शुल्क चुकाना पड़ेगा। जिसको लेकर अस्पताल में आने वाले मरीजों में काफी नाराजगी है।
जयारोग्य में ग्वालियर-चंबल संभाग सहित उत्तर प्रदेश, राजस्थान, सागर सहित अन्य जिलों के मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। जहां उपचार से लेकर जांचें नि:शुल्क होती है, लेकिन अब मरीजों को भर्ती के लिए 200 रुपए चुकाने पड़ेगें। इससे पहले मरीजों को ओपीडी के लिए 5 और भर्ती के लिए 70 रुपए देने पड़ते थे। जिसे साल 2010 में बढ़ा दिया गया था। इसके बाद मरीजों को ओपीडी के पर्चे के लिए 10 और भर्ती के लिए 100 रूपए शुल्क देना पड़ता था। लेकिन अब दो सौ रूपए देने होगें।
बीएम शर्मा, कमिश्नर ग्वालियर संभाग का कहना है कि व्यवस्था सुधारने के नाम पर खर्च ज्यादा आता है सरकार से केवल डॉक्टरों को वेतन भत्ता मिलता है इसलिए बेहतर सुविधाओं के लिए शुल्क बढ़ाया गया है।
अस्पताल में भर्ती मरीजों को स्पेशल वार्ड शुल्क सहित पार्किंग शुल्क बढ़ाने का निर्णय प्रबंध समिति ने लिया है। इसी तरह प्राइवेट रूम लेने वाले मरीजों को भी अधिक शुल्क चुकाना पड़ेगा। प्राइवेट एसी रूम का चार्ज जो अभी तक 550 था उसे बढ़ा कर 800 रुपए एवं बिना एसी वाले रूम का चार्ज 110 से बढ़ा कर 150 रूपए कर दिया गया है। जिसको लेकर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मरीजों का गु्स्सा है। वह कह रहे है कि आखिर कहा गयी। शिवराज सरकार की मुफ्त में इलाज करने की योजना।
जयारोग्य अस्पताल में बेड की संख्या करीब 1400 है, जबकि भर्ती मरीजों की संख्या करीब 1700 से अधिक रहती है। हजार बिस्तर के अस्पताल का प्रोजेक्ट पिछले 9 साल से फाइलों में अटका हुआ है, एमआरआई मशीन अब तक अस्पताल में स्थापित नहीं हो सकी है। सरदार वल्लभ भाई पटेल निशुल्क औषधि केन्द्र पर अब भी कई प्रकार की दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। मरीजों को जमीन पर गद्दे डालकर इलाज करना पड़ रहा है। इसके बाद भी शुल्क वृद्धि का निर्णय किसी के गले नहीं उतर रहा है।