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गुनाः फ़र्ज़ी स्व सहायता समूह द्वारा स्कूल एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में मिड डे मील का किया जा रहा संचालन

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Jun 8, 2019

मोहन बघेल- गुना ज़िले में फ़र्ज़ी स्व सहायता समूह के द्वारा स्कूल एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में मिड डे मील का संचालन किया जा रहा है। ज़िले में स्व सहायता समूह के संचालन के लिए जो गाइडलाइन है उसका पालन नहीं किया जा रहा है। जैसा कि समूह का आजीविका मिशन में रजिस्टर्ड होना या जनपद कार्यालय में या किसी भी एजेंसी में रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। जहां स्व सहायता समूह का समय-समय पर ग्रेडिंग एवं रिकार्ड का संधारण व संचालन में सदस्यों को लाभ मिल पा रहा है या नहीं, इसकी रिपोर्ट आजीविका मिशन द्वारा तैयार की जाती है एवं समूह को लाभ दिलाने की ज़िम्मेदारी भी अब जीविका मिशन की होती है। लेकिन ऐसा न होकर स्व सहायता समूह अपनी मनमर्ज़ी से अध्यक्ष और सचिव कभी भी बदल लेते हैं और किसी का भी फ़ोटो लगातार फ़र्ज़ी तरीक़े से समूह के खाते का बैंक में संचालन कर रहे हैं।

आदिवासी महिला को अध्यक्ष बनाया गया, उस महिला को इसका पता ही नहीं

ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग के BRC और CAC द्वारा फ़र्ज़ी समूह का अनुबंध कराकर उनके खातों में मिड डे की राशि डाली जाती है। जहाँ मिड डे कभी स्कूलों में बढ़ता ही नहीं, कभी 4, कभी छह बच्चे आते हैं और सौ-सौ बच्चों के उनके खाते में मिड डे का पैसा डाला जाता है। जिसकी रिपोर्ट आपके सामने है। जैसा कि उदाहरण के तौर पर एक मामला माँ अम्बे स्व सहायता समूह का आया है। जहां अजरोडा गाँव के प्राथमिक विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालय सहित तीन आंगनवाड़ियों से जुड़ा है। जिसमें अजरोडा गाँव की आगंनबाडी कार्यकर्ता ही समूह का संचालन करती है। माँ अम्बे स्व सहायता समूह द्वारा फ़र्ज़ी तरीक़े से मिड डे का संचालन किया जा रहा है और जिस आदिवासी महिला शांति बाई सहरिया को अध्यक्ष बनाया गया है, उस महिला को कभी पता ही नहीं है कि वो 5 समूह की अध्यक्ष और मिड डे मील का पैसा किस खाते में आ रहा है। कौन सी महिला उसकी जगह अध्यक्ष का काम कर रही है और बैंक किसको संचालन करने की अनुमति दे रही है।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पति राम बाबू शर्मा देते हैं ये सब फ़र्ज़ीवाड़े को अंजाम

बैंक में फ़ोटो किसी के हैं और नाम किसी और का है। 2010 से लेकर और 2015 तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मिड डे मील के अनुबंध के आधार पर समूह का संचालन कर रही थी  और अधिकारियों द्वारा गाइड लाइन जारी करने पर समूह के अध्यक्ष को साल 2015 में बदल दिया गया। जब से आज तक आदिवासी महिला शांति बाई अध्यक्ष के नाम पर समूह चल रहा है, किन्तु उस महिला को आज तक पता ही नहीं है कि उसको अध्यक्ष बना रखा है और ना ही आजीविका मिशन में माँ अम्बे समूह का पंजीयन है। ना ही जनपद में इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध है। यहाँ पर अजरोडा के आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पति राम बाबू शर्मा ही ये सब फ़र्ज़ीवाड़े को अंजाम देते हैं और इनका ही नाम हर जगह फ़र्ज़ीवाड़े में आता है। जैसा कि शांति बाई कह रही है।