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ग्वालियरः रंगोली के माध्यम से उकेरी बेटियों की दुखभरी दास्तां, बलात्कार के खिलाफ उठाई आवाज

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Dec 2, 2019

धर्मेन्द्र शर्मा - इस समय देश और यहां रहने वाली हर एक बेटी के मन में सिर्फ एक ही बात बार-बार सामने आ रही है कि जो भी करते हैं बलात्कार, उन्हें कुछ ऐसा सबक सिखाया जाए कि मानवाधिकार को रख कर एक कोने में, ऐसे दरिंदों को सरेआम जलाया जाए। कुछ ऐसी ही पंक्तियां शहर के फ्लैग पॉइंट पर दो बेटियों ने उकेरी हैं। इतना ही नहीं शहर की इन दो बेटियों ने रंगोली के माध्यम से एक मैसेज समाज में देने की कोशिश की है और यह दर्शाया है कि वर्तमान समय में देश भर के अंदर बेटियां सुरक्षित नहीं है, वह सिर्फ मौन है और उनकी आंखों से आंसू बह रहे हैं। उनकी चीख-पुकार को सुनने वाला तक कोई नहीं है।

समाज के बीच घूम रहे दरिंदों पर शिकंजा न कसे जाने का दुख

दरअसल शहर की रहने वाली शिवानी गुर्जर एवं निधि बरैया ने अपने हाथों से शहर की थीम रोड स्थित फ्लैग पॉइंट के नीचे एक रंगोली तैयार की, जिसमें भारत के नक्शे के बीच एक बेटी को चीखते हुए, रोते हुए और निःशब्द अवस्था में दर्शाया है। इन दोनों बेटियों का कहना है कि वह हमेशा से समाज में पॉजिटिव मैसेज देने वाली रंगोली बनाती हुई आई हैं, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें कोई ऐसी रंगोली भी बनानी पड़ जाएगी। उनका कहना है कि समाज में परिवर्तन आना बेहद जरूरी है क्योंकि हैदराबाद में घटी घटना देश के अंदर कोई पहली घटना नहीं है। ऐसी कई घटनाएं घटित हो चुकी है लेकिन कानून की लाचारी और समाज के बीच घूम रहे दरिंदों पर शिकंजा न कस पाना इसकी मुख्य वजह है।

रंगोली के माध्यम से जिम्मेदार नेता अधिकारी को ऐसे दरिंदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का दिया संदेश

इस रंगोली के माध्यम से उन्होंने देश के प्रधानमंत्री, देश के हर उस जिम्मेदार नेता अधिकारी को संदेश देने की कोशिश की है कि देश के अंदर ऐसे दरिंदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इतना ही नहीं देश के कानून में ऐसे दरिंदों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के लिए नियम भी शख्त बनाए जाने चाहिए ताकि समाज में यह संदेश जा सके कि भविष्य में कोई ऐसी गलती न दोहरा सके। शहर की बेटियों के अंदर से निकले दर्द के साथ तैयार की गई। इस रंगोली को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और वह भी बोल उठे कि देश में सिर्फ कानून ऐसे दरिंदों पर शिकंजा नहीं कस सकता, इसके लिए लोगों को भी जागरूक होने की बेहद जरूरत है। इतना ही नहीं हर व्यक्ति को अपनी मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा। जब तक सोच नहीं बदलेगी तब तक देश के अंदर बेटियों को सम्मान देने की बात सिर्फ कहने तक ही सीमित नजर आएगी।