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अफसरों की मिलीभगत से 62 लाख रुपए के स्कॉलरशिप में हुआ घोटाला

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Mar 8, 2018

ग्वालियर आदिम जाति कल्याण विभाग और बैंक अफसरों की मिलीभगत से हुए 62 लाख रुपए के स्कॉलरशिप घोटाले में आदिम जाति कल्याण विभाग के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर अमरनाथ सिंह को भी पुलिस ने आरोपी बना लिया है। उनकी तलाश में पुलिस की एक टीम बैतूल और होशंगाबाद भी गई थी लेकिन वह हाथ नहीं आए। बता दें अमरनाथ सिंह ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका न्यायालय में प्रस्तुत की है, उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। 

दरअसल अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण पुलिस के एसपी वीरेंद्र जैन के पास एक छात्रा कुसुम जाटव ने शिकायत की थी कि उसकी 28 हजार रुपए की स्कॉलरशिप उसके फर्जी दस्तावेजों देकर निकाल लिए गए,  उसे प्रखर कॉलेज ग्वालियर में अध्ययनरत बताकर स्कॉलरशिप निकाल ली गई है जबकि उसने इस कॉलेज में कभी एडमिशन लिया ही नहीं था। उसने मुरैना के निजी कॉलेज में एडमिशन लिया था जहां उसे पता चला की उसकी स्कॉलरशिप निकाल ली गई है। 

छात्रा ने शिकायत की तो निकाली गई स्कॉलरशिप वापस आदिम जाति कल्याण विभाग के खाते में जमा करा दी गई, लेकिन छात्रा ने सच जानने के लिए दोबारा शिकायत की। पुलिस ने जांच जारी रखी तो पता चला कि कुसुम की तरह 45 छात्रों की स्कॉलरशिप 62 लाख फर्जी दस्तावेजों से निकाली गई है। स्कॉलरशिप 2015 में निकाली गई थी। पुलिस ने आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रवृत्ति प्रभारी ओपी शर्मा, कंप्यूटर ऑपरेटर रवि माहोर, बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक राधेश्याम गुप्ता को आरोपी बनाया था।

जांच में पता चला था कि घोटाले में जो दस्तावेज तैयार किए गए थे वह आदिम जाति कल्याण विभाग के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर अमरनाथ सिंह के दस्तखत से तैयार किए गए थे। पुलिस अफसरों ने जांच में माना कि घाेटाला उनकी जानकारी में था, इसके चलते उन्हें भी धोखाधड़ी का आरोपी बना लिया गया है। ऐसे में अब अमरनाथ सिंह अपनी गिरफ्तारी से बचने में लगे हुए है।