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डिंडोरीः पढ़ाई में बच्चों की रूचि जगाने के लिए स्कूल को दिया रेल के डिब्बों का रूप

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Sep 27, 2019

शिवराम बर्मन - जिले में भले ही रेल न चले लेकिन स्कूल के प्रधान पाठिका ने स्कूल को ही रेल बना दिया, जिसके कारण बच्चों की दर्ज संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही बच्चों की पढ़ाई की तरफ रुझान भी बढ़ने लगा। इस स्कूल को देखने अधिकारी सहित ग्रामीण भी आते हैं।

आदिवासी जिला डिंडोरी का एक ऐसा स्कूल जो इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल इस स्कूल की महिला प्रधान पाठक संतोष उइके को स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या और पढ़ाई के प्रति आसपास के माहौल को सुधारने की मन में जिज्ञासा आई। जिसके बाद महिला प्रधान पाठक ने इस बारे में लगातार विचार किया। मन में विचार आया कि क्यों ना स्कूल को ट्रेन की शक्ल दे दिया जाए जिससे स्कूल सुंदर और आकर्षक लगने लगे। बस तो फिर क्या था शिक्षिका ने गूगल में सर्च किया और ट्रेन और स्टेशन के चित्र को हु-ब-हु स्कूल में शक्ल दे डाली। इतना ही नहीं स्कूल परिसर को खजरी जंक्शन भी रख दिया गया। अलग-अलग कमरों में अलग-अलग नाम भी लिखा गया। प्रधान पाठक के इस प्रयास से जहां बच्चों की दर्ज संख्या में बढ़ोतरी हो रही है तो वहीं बच्चों में पढ़ाई के प्रति ललक बढ़ती दिखाई दे रही है। प्रधान पाठक इस प्रयास से ग्रामीणों और अभिभावक भी खुश हैं।

प्रधान शिक्षिका के प्रयास से बच्चे और अभिभावक दोनों खुश

डिंडौरी जिले के अमरपुर विकासखंड क्षेत्र का यह है खजरी गाँव जो पहाड़ियों में बसा हुआ है। गाँव में बरसों पुराने शासकीय माध्यमिक स्कूल को एजुकेशन एक्सप्रेस में तब्दील किया है। स्कूल की महिला प्रधान शिक्षिका संतोष उइके, जिनके प्रयास के बाद स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे नियमित समय से पूर्व स्कूल आते हैं। स्कूल में घंटी बजते ही सबसे पहले प्रार्थना होती है। प्रार्थना के बाद बारी-बारी से बच्चे अपनी क्लास के अंदर जाकर पढ़ाई में लग जाते हैं। बच्चों का कहना है कि स्कूल आने में पहले से अब ज्यादा अच्छा लगता है। अब पढ़ाई में भी मन लगता है। वहीं शिक्षिका के इस अभिनव पहल पर ग्रामीण भी बेहद खुश हैं। हालांकि जिले में अब तक ट्रैन नही पहुँच पाई है लेकिन महिला शिक्षिका के प्रयास से जरूर 3 कक्षा के 96 बच्चे और 3 शिक्षक रोजाना एजुकेशन एक्सप्रेस में सफर कर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।