Sep 25, 2019
अनिल डेहारिया : नवरात्र पर स्थापित माँ दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में मूर्तिकार जुटे हैं। माँ दुर्गा की मूर्तियों का निर्माण करने चांदामेटा के मूर्तिकार दमुआ से लाई मिट्टी का इस्तेमाल करते है। कलाकारों द्वारा चार माह पूर्व ही मिट्टी को लाकर मूर्तियां बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है। जो पूरे परिवार सहित दिन रात की मेहनत से मूर्तियों का निर्माण करते है।
मूर्तिकार को मेहनत का सही दाम नहीं मिलता..
मूर्ति के हर हिस्से पर मूर्तिकार द्वारा बारीकी से काम करने पर माँ का सुंदर रूप निखरकर सामने आता है, तब मूर्तिकारों को मेहनत का सही दाम मिल पाता है। चांदामेटा के कलाकारों द्वारा निर्मित मूर्तियों की मांग स्थानीय क्षेत्रों के अलावा अन्य जिलों में भी है। बैतूल, सिवनी, नरसिंगपुर सहित महाराष्ट्र के लोग भी मूर्तियों के लिए परासिया के चांदामेटा पहुँचते है।
दो से तीन हजार की लागत के बाद उतनी कीमत नहीं मिलती
मूर्तिकार महेश प्रजापति ने बताया कि मूर्ति निर्माण करने दमुआ से खरीद कर लाई मिट्टी द्वारा, परिवार सहित दिनरात मेहनत कर 40 से 50 छोटी-बड़ी मूर्तियों का निर्माण करते है। एक मूर्ति में दो से तीन हजार की लागत के बाद उतनी कीमत नहीं मिल पाती जितनी मिलना चाहिए फिर भी पीढ़ियों से निर्माण करते आ रही परम्परा को आगे तक ले जाने , और परिवार का पालन पोषण करने काम कर रहे है।