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शमशाबादः और कब तक उड़ेगी धूल शहर में, खराब सड़क ने किया परेशान

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Feb 23, 2019

चैनसिंह मीणा- कहा जाता है कि सड़कें किसी देश, प्रदेश और नगर की धमनियां होती हैं। सड़कें खराब हों तो उस नगर का विकास भी अधर में चला जाता है। कुछ ऐसा ही विदिशा जिले के शमशाबाद में देखने को मिल रहा है। शमशाबाद में सड़क खराब होने से 5 साल से उड़ रही है धूल। यहां दिन भर उड़ रही धूल से बेहाल हुए नागरिक।

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता है सबसे बड़ा कारण

पिछले 5 वर्ष से यहां सड़क के मामले में कोई काम ही नहीं हुआ है। इसका कारण परिषद के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता बताई जा रही है। जबकि सरकार ने पैसा भी उपलब्ध करा दिया, लेकिन सड़क पर काम तो दूर एक धेला भी खर्च नहीं कर पाई परिषद। इसका खामियाजा शहर के व्यपारियों और नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। मुख्य मार्ग की सड़क की हालत तो ऐसी है कि उसमें तार निकल आये हैं। जिससे किसी दिन बडा हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

नागरिकों की सेहत पर पड़ रहा है बुरा असर

नागरिकों का कहना कि 5 साल से पूरे शहर की सड़कें उखड़ी पड़ी है। जिससे दिन भर धूल उड़ती है। वहीं व्यपारियों का कहना है कि हमारी दुकानों में रखा सामान इस धूल से खराब हो जाता है और माल को फेंकना पड़ता है। जिससे हजारों का नुकसान होता है। कई बार जनप्रतिनिधियों से कहा लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। वही डॉ भैरोंसिंह गुर्जर ने बताया कि इस धूल के कारण नागरिकों में खांसी, लंग्स, पथरी जैसी गंभीर बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। रोज मरीज आते हैं। इसका कारण धूल का दिनभर उड़ना है जो स्वांस की बीमारी के लिए खतरनाक है।

कमीशन खोरी बनी रोड़ा

जब इन सड़कों के बारे में जिम्मेदारों से बात की तो असलियत सामने आई। अनेक पार्षदों का कहना है कि अध्यक्ष ठेकेदारों से कमीशन मांगते हैं, जिसके कारण कोई ठेकेदार रोड़ बनाने को तैयार नहीं होता। पार्षदों ने बताया कि 3 साल पहले मुख्यमंत्री अधो संरचना से कार्य प्रारंभ हुआ था। ठेकेदार ने थोड़ा ही काम किया था और उससे कमीशन माँग लिया गया। वो काम छोड़ कर चला गया। आज तक रोड़ ऐसे ही पड़ा है। अब शमशाबाद नगर परिषद में कोई ठेकेदार काम नहीं करना चाहता। वहीं मुख्य नगरपालिका अधिकारी से जब बात की, तो उनका कहना है कि हम ने टेंडर निकाले हैं। 6 मार्च को टेंडर ओपन होंगे। पहले क्या हुआ मुझे पता नहीं है, मैं अभी आया हूँ। अब देखना ये है कि क्या शहर की सड़कें  बन पायेगी या फिर कमीशनखोरी के चक्कर में सड़कों पर यूं ही धूल उड़ती रहेगी।