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इंदौर के शेर सुरेश सेठ का निधन, आज होगा अंतिम संस्कार

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Feb 23, 2018

इंदौर। जीवन और मौत के बीच लंबे संघर्ष के बाद पत्रकार-पूर्व मंत्री-इंदौर के शेर के नाम से पहचाने जाने वाले सुरेश सेठ ने इंदौर के मेंदांता अस्पताल में गुरूवार की दोपहर अंतिम साँस ली। शहर की राजनीति में तो फ़िलहाल किसी दल के नेता-मंत्री में सेठसाहब  जैसी दहाड़ वाला गला है नहीं। इसी वजह से इंदौर की राजनीति में इस शेर की यादें हर वक्त तरोताज़ा रहेंगी। 

आज शाम 4 बजे निकलेगी शवयात्रा...

सुरेश सेठ क़रीब पौन महीने से अस्पताल में हालत बिगड़ने के बाद से वेंटिलेटर पर थे। और गुरूवार दोपहर में उनकी हॉस्पिटल में मौत हो गई, वहीं  उनकी शवयात्रा  श्रीनगर स्थित निवास से शुक्रवार की अपराह्न 4  बजे निकलेगी और तिलक नगर मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।

सुरेश सेठ के बारे में...

इंदौर नगर निगम के महापौर के साथ ही वे कांग्रेस शासन में नगरीय निकाय  मंत्री भी रहे। अर्जुनसिंह मुख्यमंत्री थे, लेकिन इंदौर में लता अलंकरण समारोह हो, चुरहट लाटरी कांड हो या खेल प्रशाल का विरोध सुरेश सेठ ने अपने दम पर मोर्चा लिया। यही नहीं हाथी पर सवार होकर विधानसभा में प्रवेश को लेकर भी वे चर्चित रहे।

दिग्विजय सिंह की सरकार के वक्त इंदौर में महेश जोशी को शेडो सीएम माना जाता था। लेकिन जोशी गुट भी सेठ साहब से पंगा लेने में हिचकिचाता था।1982 के नगर निगम चुनाव में जेलरोड वाले वार्ड से भाजपा के रामप्रसाद शर्मा की जीत से ज़्यादा कांग्रेस प्रत्याशी मदनलाल की हार कांग्रेस ख़ासकर सेठसाब के खेमे के लिए चौंकाने वाली थी, क्योंकि यह माना जा रहा था कि सेठसाहब इस वार्ड सहित आसपास के वार्डों से भी अपने समर्थक प्रत्याशियों को जिता लाएँगे।मुँहफट राजनीति का पर्याय बनते गए सुरेश सेठ खुदबखुद इंदौर के शेर हो गए। 

सेठ साहब ने राजनीति अपनी ठसक के साथ की , कैलाश विजयवर्गीय की क्षेत्र क्रमांक दो से जीत के बाद श्रमिक क्षेत्र से कांग्रेस लगातार उखड़ती गई । विजयवर्गीय-मेंदोला का दबदबा बढ़ता जा रहा था, तब कांग्रेस में सुरेश सेठ ही एकमात्र ऐसे शेर रहे जो सार्वजनिक मंचों से इन्हें  गुंडे-बदमाश कहने में नहीं हिचकते थे।

हालाँकि इंदौर का महापौर रहते चक्काकांड जैसे घोटालों में सेठ साहब का नाम भी जोड़ा गया लेकिन ऐसे आरोपों की परवाह किए बिना वे दमख़म से राजनीति करते रहे। विजयवर्गीय के महापौर काल का कथित पेंशन घोटाला हो या सुगनीदेवी जमीन घोटाले में विधायक रमेश मेंदोला की कथित संलिप्तता हो आमसभा में बोलने से लेकर कोर्ट में केस लगाने तक सुरेश सेठ सक्रिय रहे।

इंदिरा गांधी, राजीव गांधी तक सेठसाहब के तेवर, काम करने के उनके तरीक़ों से वाक़िफ़ थे। आम कांग्रेसजन को सुरेश सेठ अपने परिवार का मुखिया अधिक लगता था इसलिए वह चाहे जब सेठ साहब के घर, मालवा मिल प्रेस पर  पहुँच जाता था ।यही कारण था कि उस दौर में गांधी भवन से अधिक भीड़ इंदौर समाचार के कार्यालय में रहती थी जहाँ अगले कमरे में सेठसाहब की बैठक, फ़ोन घनघनाते रहते, चाय-चूड़े का नाश्ता चलता रहता।

वहीं जब  पूर्व मंत्री सुरेश सेठ की मौत की सूचना शहर में  फैली तो उनके अंतिम दर्शन करने के लिए सबसे पहले  उनके सबसे अधिक प्रतिद्व्न्दी और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय  और रमेश मेंदोला ही पहुंचे , इसी के साथ सुरेश सेठ के  पार्थिव देह के अंतिम दर्शन करने के लिए बीजेपी और  कांग्रेस से जुड़े कई नेता भी उनके निवास पहुंचे और उनके शव पर  पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।