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मंदसौरः पुलिस कर्मियों ने ही लगाया खाकी वर्दी पर दाग, सराफा व्यवसायी से हुई लूटपाट का हुआ खुलासा

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Dec 4, 2019

बलवन्त भट्ट - नकली पुलिस ने नहीं बल्कि असली पुलिस कर्मियों ने ही की थी सराफा व्यवसायी से लूट, 2 आरक्षक गिरफ्तार किये गये। एक सब इंस्पेक्टर फरार बताया जा रहा है। जिस थाना क्षेत्र में हुई लूट उसी थाने पर पदस्त था सब इंपेक्टर और एक आरक्षक।

फर्जी पुलिस और अधिकारी बनकर लूट और लुटेरों की घटनाएं तो आप ने हमेशा देखी होंगी लेकिन मंदसौर में सराफा व्यापारी से हुई लूट की घटना देख कर आप भी दंग रह जाएंगे। यहां व्यापारी से 111 ग्राम सोना लूटने वाले कोई कुख्यात लुटेरे या फर्जी अधिकारी नहीं थे, बल्कि मंदसौर जिले में ही पदस्त असली पुलिसकर्मी थे। इसका खुलासा पूरा मामला मीडिया में आने के बाद हुआ और अब पुलिस ने भी तीनों को आरोपी मान लिया है। 2 आरक्षकों को गिरफ्तार कर लिया गया है, साथ ही फरार सब इस्पेक्टर गोपाल गुणावंत की तलाश जारी है।

सोना लेने आये व्यापारी को रेल्वे स्टेशन रोड़ से दो आरक्षक व सब इंस्पेक्टर ने जांच के नाम लूटा

दरअसल दिनांक 27-11-19 को रतलाम से मंदसौर सोना लेने आये व्यापारी को रेल्वे स्टेशन रोड़ से दो आरक्षक जांच के नाम पर थाने चलने की बोल बिठा कर ले गए। आगे जाकर सब इंस्पेक्टर के साथ मिलकर व्यापारी को मंदसौर से 15 किलोमीटर दूर ले जाकर, सोना छीन लिया और वहीं से व्यापारी को भगा दिया। व्यापारी लूट की फरियाद लेकर थाने पहुंचा तो दो दिनों तक उसकी वहां सुनने वाला कोई नहीं था, क्योंकि उसका आरोप उसी थाने में पदस्त पुलिस कर्मियों के ऊपर था। जब मामला मीडिया में आया तो पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और जांच शुरु हुई।

लूट करने वाले फर्जी अधिकारी नहीं बल्कि उन्हीं के विभाग में पदस्त पुलिसकर्मी

जांच में जो कुछ सामने आया, उसे देख सारे अधिकारी दंग रह गए। घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी के आधार पर पुलिस ने माना की लूट करने वाले फर्जी अधिकारी नहीं बल्कि उन्हीं के विभाग में पदस्त पुलिसकर्मी थे। पुलिस ने आनन-फानन में तीनों को सस्पेंड किया, और 2 आरक्षकों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि एक सब इंस्पेक्टर फिलहाल फरार है। इस पूरे मामले में सियासत भी गरमा गई है और विपक्ष के नेताओं ने कमलनाथ सरकार को भी घेरा है। अब देखना होगा कि पुलिस के दामन पर लगा ये दाग मिटाने के लिए मंदसौर पुलिस अधीक्षक इन पर कितनी ठोस कार्यवाही कर पाते हैं, क्योंकि मंदसौर की इस घटना ने पूरे प्रदेश की खाकी वर्दी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।