Oct 1, 2019
वरूण शर्मा - सतना जिले की शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर चुकी। कहीं स्कूल में छात्र नदारत है तो कहीं शिक्षक जिले की लगभग 200 विघालय में शिक्षक नहीं। कस्बों, इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों की भरमार है, मगर छात्र ही नहीं है। ऐसे में शिक्षक मुफ्त की मोटी तनख्वाह ले रहे हैं।
ये है सतना जिले के नागौद कस्बे की शासकीय स्कूल की कहानी। इस स्कूल में चार शिक्षक पदस्त हैं, मगर छात्रों की कुल संख्या 16 है। 6वीं में 4, 7वीं में 6 और 8वीं में 6 विद्यार्थी का दाखिला है और स्कूल सिर्फ 7-8 बच्चे ही आते हैं। ऐसे में मास्टर साहब स्कूल में कम घर के काम-धाम ज्यादा निपटाते हैं। ये शिक्षक मोटी तनख्वाह लेना नहीं भूलते, ये सिर्फ बानगी है। जिले के शहरी इलाकों का यही हाल है। शहर के शासकीय स्कूलों में छात्र संख्या न के बराबर है पर जोर जुगाड़ कर शिक्षकों की पदस्थापना भरपूर है। जिले के 200 से ज्यादा ग्रामीण इलाके की स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं। अतिथि शिक्षक के दम पर पठन पाठन हो रहा तो वहीं ऐसे एक सैकड़ा से ज्यादा स्कूल है जहां अतरिक्त शिक्षक पदस्त है।
शहरी क्षेत्रों ने शिक्षकों की भरमार, ग्रामीण इलाकों के स्कूल शिक्षकविहीन
इस मामले में शासन के स्पष्ट निर्देश है कि ऐसे विद्यालयों को चिन्हित कर अतिशेष शिक्षकों को चिन्हित कर उन स्कूलों में पदस्त किया जाए। जहां शिक्षकों की संख्या कम है और छात्रों की संख्या जिला शिक्षाधिकारी भी इस तरह के आदेश की बात कह रहे, मगर अभी तक न तो चिन्हित कर पाए और न ही किसी की पदस्थापना ही कर पाए। बहरहाल, इस वर्ष सरकार ने प्रदेश स्तर पर ऑनलाइन स्थानांतरण की व्यवस्था की। स्कूल के आधार पर स्थान्तरण भी हो गए, मगर हालात अब और बिगड़ चुके। शहरी क्षेत्रों ने शिक्षकों की भरमार हो चुकी और ग्रामीण इलाकों के स्कूल शिक्षकविहीन। ग्रामीण इलाकों में छात्र हैं लेकिन शहरी इलाकों में शासकीय स्कूल में छात्रों की संख्या न के बराबर। ऐसे में शहरी क्षेत्र में शिक्षक मुक्त की वेतन ले रहे।