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एशिया का सबसे बड़ा सोयावीन प्लांट खंडहर में तब्दील

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Jul 24, 2019

करोडों की लागत से सिवनी मालवा का बानापुरा सोयावीन प्लाॅट वीरान और खंडहर में तब्दील हो चुका है। सोयाबीन प्लांट जिसे कभी एशिया का सबसे बड़ा प्लांट होने का तमगा मिला था। बानापुरा में 45 एकड क्षेत्र में फैला सोयावीन प्लांट 14 करोड़ की लागत से कांगे्रस षासनकाल में निर्मित हुआ था। सोयावीन प्लांट से निकलने वाली डीओसी का निर्यात विदेशों तक होता था। डीओसी के निर्यात से विदेशी करंसी के रूप में करोड़ों रूपये की आय तिलहन संघ को होती थी जोक बंद है। बानापुरा का सोयावीन प्लांट की क्षमता 200 के बाद सन् 1993 में 300 टन की छमता का किया गया। किन्ही कारणों से सन् 2002/2003 में बंद हो गया। 

कई सालों तक घाटे में चलने के कारण बंद 
बानापुरा सोयाबीन प्लांट का भूमिपूजन 1 फरवरी 1982 को मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह एवं गृह राज्य मंत्री हजारीलाल रघुवंशी की अध्यक्षता में किया गया था और 3 अप्रैल 1984 को सोयाबीन प्लांट का उद्घाटन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के द्वारा किया गया था। सोयावीन प्लांट में हजारों लोग रोजगार से लगे थे। यहां काम करने वाले कर्मचारियों के परिवारों में खुशहाली थी परन्तु नेताओं, अधिकारियों की भर्राशाही और भ्रष्टाचार की तिलहन संघ के इस प्लांट पर ऐसी काली छाया पड़ी कि फायदे के बावजूद यह सोयाबीन प्लांट कई सालों तक घाटे में चलने के कारण बंद हो गया।

प्लांट में लगी महंगी मशीनें खा रहीं जंग
सोयावीन प्लांट की अब स्थिति यह है कि प्लांट में लगी महंगी मशीनें जंग खा रही है। प्लांट में कभी सुरक्षा कर्मियों का जमावडा लगा रहता था और 500 से अधिक कर्मचारी काम करते थे परन्तु वर्तमान में दो कर्मचारी प्लांट की सुरक्षा के लिये तैनात हैं और पूरा प्लांट वीरान खंडहर नजर आ रहा है। प्लांट की हालत यह है कि सभी जगह घनी झाड़ियां उग आई हैं और महंगी मशीने जंग खाकर कबाड़ में तब्दील हो रही हैं। पर्याप्त सुरक्षा नही होने से परिसर असुरक्षित है।

सोयावीन प्लांट में पदस्थ कई कर्मचारियों को नहीं मिली पर्याप्त आय
सोयावीन प्लांट बंद होने के बाद से परिसर के एक हिस्से को गोदामों में तब्दील कर दिया गया है। इन गोदामों में पिछले कई सालों से गेहूं का भंडारण किया जा रहा है जिससे तिलहन संघ को लाखों की आमदनी होती है और पदस्थ कर्मचारियों को वेतन उपलब्ध होता है। सोयावीन प्लांट में पदस्थ कई कर्मचारियों को पर्याप्त आय नहीं होने के कारण अन्य विभागों में पदस्थ किया गया है। 

व्यापारी केवल मंडी पर आश्रित
बानापुरा का सोयावीन प्लांट के संचालन के समय शहर के युवा व्यापारी, किसान सभी खुश थे। अब सोयावीन प्लांट के बंद होने के कारण युवाओं को रोजगार के लिए अन्य शहरों की और रुख करना पड़ रहा है। व्यापारी केवल मंडी पर आश्रित है और किसान सोयाबीन की फसल का सही दाम नहीं मिलने के कारण अब धान मक्का सहित अन्य फसलों की पैदावार करने लगा है।