Feb 21, 2019
दिनेश भट्ट : सहजता से बाघ दर्शन के लिए दुनिया भर में मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के कोर एवं बफर इलाके में आबाद 106 गांवों के किसानो ने परंपरागत खेती से नाता तोड़ लिया है किसान अब गांव से शहर मजदूरी करने जा रहे हैं लेकिन खेती छोड़ने की वजह भयावह तो है ही साथ ही राज्य एवं केंद्र सरकार की किसानो के हिट में किये जा रहे दावों की पोल भी खोल रही है, टाइगर रिज़र्व क्षेत्र के हजारों किसान बाघ सहित अन्य हिंसक जीवों के आतंक से खेती नहीं कर पा रहे हैं किसानो की माने तो खेतों खड़ी फसल जंगली जानवर चट कर जाते हैं जिससे लागत निकलना तो दूर साल भर में भूखों मरने की नौबत खड़ी हो जाती है किसानो का आरोप है की उनकी समस्याओं की कोई सुध नहीं ले रहा है लिहाजा वे खेती छोड़कर आजीविका चलाने के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं।
जंगली जानवरों का बढ़ा आतंक
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के कोर एरिया में 10 तो बफर इलाके में 96 गांव आबाद हैं जहाँ हजारों किसान खेती की आजीविका पर निर्भर हैं लेकिन बीते वर्षों में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ने से ग्रामीण आजीविका संकट से जूझ रहे हैं इन गांवों में जंगली सूअर चीतल हिरन सांभर से लेकर बाघ तक की बराबर मौजूदगी बनी रहती है जो मवेशियों से लेकर ग्रामीणों तक को अपना निशाना बनाते हैं।
1855 मवेशियों का जंगली जानवरों ने किया शिकार
आकड़ों की बात करें तो अप्रैल 2018 से लेकर अब तक महज नौ माह में ग्रामीणों के 1855 मवेशियों का जंगली जानवरों ने शिकार कर लिया वहीँ 81 ग्रामीणों को बाघ ने हमला कर घायल कर दिया। वहीँ सामान्य वन मंडल सहित पार्क क्षेत्र के कुल तीन किसानो की बाघ हमले से मौत चुकी है। ग्रामीणों को समस्याओं से निजात दिलाने सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रोजगार के वैकल्पिक स्त्रोत स्थापित करने की बात कही लेकिन पार्क प्रबंधन अपनी नीतियों की दुहाई देकर मामले से पल्ला झाड़ रहा है वहीँ जिला प्रशासन ने ठोस कार्यवाही की बात कही है।
किसान परंपरागत खेती छोड़कर आजीविका संकट से जूझ रहे
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व देशी विदेशी सैलानियों के लिए भले ही मुफीद हो मगर देशी किसानो के लिए मुसीबत साबित हो रहा है,पार्क क्षेत्र के किसान परंपरागत खेती छोड़कर आजीविका संकट से जूझ रहे हैं और जिम्मेदार किसानो की समस्याओं की सुध नहीं ले रहे। समय रहते पार्क क्षेत्र में किसानो की समस्याएं दूर नहीं हुई तो किसानो की हजारों हेक्टेयर की खेतिहर भूमि जंगली जानवरों का आशियाना बनकर रह जाएगी।