Oct 28, 2019
रामनरेश श्रीवास्तव : प्रभु श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट के दीपोत्सव महापर्व में 30 लाख श्रद्धालुओं ने दीपदान किया है। देश के कई हिस्सों से आये श्रद्धालुओं ने मां मंदाकिनी और कामदगिरि में दीपदान किया है। बड़ी संख्या में हुए दीपदान से चित्रकूट ऐसे सजा था जैसे मंदाकिनी और कामदगिरि में आसमान से तारे उतर आए हों। चित्रकूट में दीपदान करके श्रद्धालु अपने आपको धन्य मानते हैं।
33 करोड़ दीप प्रज्वलित करके भगवान की आरती
श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रभु श्रीराम ने यहाँ रहकर साढ़े 11 वर्षों तक कामदगिरि व् मंदाकिनी में दिया जलाया है और लंका विजय से लौटने के बाद दीवाली को यहां दीप जलाकर खुशियाँ मनाई गई थीं। प्रभु श्रीराम जब लंका पर विजय प्राप्त करके लौटे तो प्रभु श्री राम का स्वागत चित्रकूट में सबसे ज्यादा हुआ और 33 करोड़ देवी देवताओं ने 33 करोड़ दीप प्रज्वलित करके भगवान की आरती की और खुशियाँ मनायी गयी। इसलिए चित्रकूट में दीपावली का विशेष महत्व है।
चित्रकूट के कण कण में भगवान बिराजे
कामदगिरि व मंदाकिनी में दीपदान करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि चित्रकूट के कण कण में भगवान् बिराजे हैं ये आध्यात्मिक नगरी है। यहां हजारों साल से लाखों लोग दीपदान करने आते हैं। प्रशासन ने भी मेले के हिसाब से तैयारियां की है, लेकिन प्रशासन व्यवस्था में लगे कर्मचारियों को कंट्रोल नहीँ कर पा रहा न तो ठीक से साफ सफाई के इंतजाम हैंं। प्रशासन द्वारा अस्थायी शौचालयों की भी कोई व्यवस्था नहीँ की गयी और न ही श्रद्धालुओं के रुकने के लिए छाया की व्यवस्था है लोग ठंड में खुले आसमान में लेटे हुए हैं।
33 करोड़ दीपों से भगवान की आरती
इस जगत में पहली दीपावली राम अवतार में भगवान श्री राम के समय अमावस तिथि को 33 करोड़ दीपों से भगवान की आरती की गयी। इसीलिए चित्रकूट की दीपावली ही विश्व की सबसे बड़ी दीपावली है और पूरे विश्व को दीपावली का संदेश प्राप्त हुआ। दीपावली की अमावस को जो भी परिक्रमा करता है उसकी जिंदगी भर की उदासी की अमासी पूर्णमासी में बदल जाती है। इसलिए लाखों की तादाद में श्रद्धालु दीपावली को चित्रकूट में दीपदान करते हैंं।