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ग्वालियर शहर प्रदूषण के मामले में 28 महानगरों में शुमार

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Jul 16, 2019

विनोद शर्मा : एक बार फिर ग्वालियर शहर के लोगों के लिए बुरी खबर है। ग्वालियर शहर से प्रदूषण के मामले में देश के 28 महानरों में फिर से शुमार हो गया है। जहां वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है। जबकि दूषित हवा के मामले में खतरनाक स्तर पर पहुंचे देश के 102 शहरों में वायु प्रदूषण नियंत्रण की कार्ययोजना का शुरुआती असर दिखने लगा है। 

2024 तक वायु प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के अनुरूप लाने का प्रयास
दरअसल इस साल जनवरी में शुरु किये गये राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत 10 लाख से अधिक आबादी वाले 50 शहरों में हवा को दूषित बनाने वाले पार्टिकुलेट तत्वों (पीएम 10 और पीएम 2.5), सल्फर डाई ऑक्साइड (एसओ2) और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (एनओ2) के स्तर में गिरावट दर्ज की गयी है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इन परिणामों के आधार पर हवा में घुले दूषित तत्वों के अस्थिर स्तर वाले 28 महानगरों (जिनकी आबादी दस लाख से अधिक है) को प्राथमिकता दी है। ताकि इन शहरों की तर्ज सभी 102 शहरों की हवा को 2024 तक वायु प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के अनुरूप लाया जा सके। 

17 शहरों के आंकड़े प्राप्त 
मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक सभी 50 शहरों में एसओ2 का स्तर हवा की गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों के भीतर पाया गया, जबकि एनओ2 का स्तर 16 शहरों में घटा है, 17 शहरों में यह बढ़ा है, 16 शहरों में अस्थिर और एक शहर में यह स्थिर है। इसी प्रकार पीएम 10 का स्तर 14 शहरों में घटा, 14 शहरों में बढ़ा और 22 शहरों में यह घटता-बढ़ता रहा। मंत्रालय को पीएम 2.5 के जिन 17 शहरों के आंकड़े प्राप्त हुये हैं, उनमें से आठ शहरों में इसका स्तर बढ़ा है। जबकि चार शहरों में यह घटा और पांच शहरों में यह स्तर घटता-बढ़ता रहा है। 

मंत्री प्रद्धुमन सिंह तोमर ने आधिकारियों से की रिपोर्ट तलब 
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के आकड़ों के मुताबिक 15 राज्यों के 28 महानगरों में पांच शहर उत्तर प्रदेश (कानपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी और इलाहाबाद) के हैं। वहीं, औद्योगिक गतिविधियों की अधिकता वाले इन महानगरों में ग्वालियर, सूरत, बेंगलुरू, लुधियाना, पटियाला, कोलकाता, भिलाई और धनबाद सहित अन्य शहर शामिल हैं। वहीं ग्वालियर का नाम आने के बाद कमलनाथ सरकार के मंत्री प्रद्धुमन सिंह तोमर ने प्रदूषण के मामले में कलेक्टर और प्रदूषण बोर्ड के आधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है, तो वहीं सोशल एक्टिविस्टों का कहना है कि प्रदूषण विभाग के शहर को प्रदूषण मुक्त करने का काम सिर्फ कागजों में किया है।