Feb 21, 2019
पंकज मिश्रा : जवा रीवा जिले के जवा तहसील मुख्यालय के तराई अंचल के जवा से अट्ठाइस पार को जोड़ने वाले टमस नदी के सितलहा जवा घाट में बना पुल अवैध रेत उत्खनन का शिकार हो रहा है। रेत का नदी से किया जा रहा अवैध उत्खनन जो महज पुल से 50 मीटर की दूरी पर दोनों तरफ नाव द्वारा निरंतर किया जा रहा है जिससे कभी भी पुल क्षतिग्रस्त हो सकता है। परंतु जिले का खनिज अमला और प्रशासन पुल के अस्तित्व को संकट में डालने वाले रेत माफिया के सामने घुटने टेके नजर आता है।
बेधड़क हो रहा अवैध बालू उत्खनन
तराई अंचल में टमस नदी पर बालू माफिया के अवैध कारोबार के सामने किस कदर प्रशासन ने घुटने टेक रखे हैं इसका प्रमाण टमस नदी के विभिन्न घाटों में चल रहा दिन रात अवैध उत्खनन दे रहा है। सिर्फ सितलहा पुल के पास अवैध उत्खनन नही हो रहा है ऐसा सितलहा घाट से लेकर त्योंथर तक जैसे बूची घाट भुनागांव घाट झलवा घाट अकौरी घाट बाराह कोनिया घाट यह सब अवैध घाट है जिनका कोई भी ठेका नहीं है और बेधड़क अवैध बालू उत्खनन हो रहा है।
बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर निकाला जा रहा बालू
जहां तक जनता का कहना माने तो नाव से तो निकाला ही जाता है कहीं-कहीं तो बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर बालू निकाला जा रहा है और पोकलैंड और जेसीबी मशीनों से लोड किया जाता है। अवैध बालू का परिवहन यूपी इलाहाबाद तक हो रहा है। क्योंकि यूपी खदानों में यूपी सरकार रोक लगाई हुई है। इसलिए पूरा बालू जवा त्योंथर तहसील से ले जाया जा रहा है इसतरह व्यापक पैमाने पर टमस नदी से रेत का दोहन किया जा रहा है । दिन भर में इन चार पांच घाटों से हजारों ट्रैक्टर बालू अवैध रूप से उत्खनन किया जा रहा है जबकि शासन द्वारा पूरी तरह टमस नदी घाटों में बालू निकालना प्रतिबंधित है । लेकिन खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चौबीसों घंटे चल रहा है।कई बार लोगों की शिकायत पर त्योथर एसडीएम ने खनिज जिला अधिकारी को फोन से कहा कि तीन घाटों में अवैध उत्खनन हो रहा है आप आए संयुक्त रूप से कार्यवाही करते हैं। लेकिन जिला अधिकारी ने कभी भी कोई कार्यवाही नहीं किया। जबकि जवा थाने से महज आधा किलो मीटर की दूरी पर ही या अवैध गोरखधंधा चल रहा है।
जवा पुलिस मौन
यही नहीं थाने के सामने से दिनभर अवैध बालू से लदे ट्रक हाइवा डम्फर दिनभर निकलते रहते हैं लेकिन जवा पुलिस अपनी आंखें बंद की हुई है। यही नहीं कुछ सिपाहियों के द्वारा अवैध इंट्री भी वसूली जाती है ऐसी जवा बाजार में जन चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी वजह से शायद कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि खनिज अधिकारी रीवा एवं पुलिस विभाग की मिलीभगत से अवैध रेत निकासी और व्यवसाय का गोरखधंधा फल फूल रहा है। और प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
प्रशासनिक रवैये से शासन को राजस्व की हानि
ऐसे प्रशासनिक रवैये से शासन को राजस्व की तो हानि हो ही रही है साथ ही सितलहा घाट का पुल पर भी अस्तित्व का संकट मंड़राने लगा है। कभी भी किसी भी समय पुल धसक सकता है। ऐसे में अगर पुल के साथ कोई दुर्घटना होती है तो कौन जवाबदार होगा। यह बड़ा सवाल जनता के सामने है ? पुल को बचाने का सिर्फ एक उपाय है की पुल के आस पास से रेत उत्खनन पर रोंक लगाई जाय और रेत माफियाओं के खिलाफ सीघ्र कड़ी कार्रवाई की जाय।अन्यथा कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
रेत माफियाओं के हौंसले बुलंद
यहां तक की कई बार स्वराज एक्सप्रेस चैनल एवं न्यूज़पेपर में काफी बार उत्खनन को लेकर प्रकाशन किया गया स्वराज एक्सप्रेस में जिला खनिज अधिकारी का फोनो भी दो बार हो चुका है लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि मध्य प्रदेश शासन खुलेआम कह रहा है कि जिस जिला में अवैध उत्खनन होगा उस जिले का कलेक्टर नपे ग कई बार जिला कलेक्टर को भी ग्रामीणों ने शिकायत पत्र द्वारा अवगत कराया गया व्हाट्सएप के द्वारा वीडियो भी भेजी गई लेकिन कलेक्टर साहब की जू तक नहीं रेंग रही है ना तो अधिकारी कर्मचारी कैमरे के सामने कुछ कहने को तैयार नहीं है और ना तो कारवां ही कर रहे हैं इसलिए हौसले रेत माफियाओं का काफी बुलंद है।