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नरसिंहपुर जिला तीसरी बार हुआ गौरवान्वित, चने की रिकॉर्ड तोड़ उपज के लिए चयनित हुए श्रीतिवारी

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Dec 25, 2019

आलोक सिंह : वैसे तो नरसिंहपुर जिले ने ढेरों कीर्तिमान स्थापित किए हैं। नरसिंहपुर जिले का प्राकृतिक सौंदर्य यहां की जलवायु उर्वरक कृषि भूमि के चलते कृषि प्रधान जिले के तौर पर सदैव जिला सुर्खियां बटोरता रहा है। एक बार फिर नरसिंहपुर जिला सुर्खियों में हैं लगातार तीसरी बार अपना कीर्तिमान बरक़रार रखे हुए हैं। चने की रिकॉर्ड तोड़ उपज के लिए नरसिंहपुर के ग्राम मुगली निवासी 80 वर्षीय कृषक सीएस तिवारी को सम्मानित करने एवं कृषि कर्मण अवार्ड के लिए चयनित किया गया है। ग्राम मुंगेली के रहने वाले 80 वर्षीय कृषक की पारिवारिक पृष्ठभूमि आर्थिक संपन्नता की रही है। 115 एकड़ जमीन में कृषि कार्य करने वाले सीएस तिवारी राजनीति शास्त्र के लेक्चरर भी थे। सेवानिवृत हो समर्पण भाव से कृषि कार्य में प्रैक्टिकल कर कृतिमान स्थापित करने वाले कृषक बन चुके हैं। उन्होंने नरसिंहपुर जिले में चना गेहूं एवं गन्ने के लिए सदैव नए बीजों की उपलब्धता के साथ साथ कृषकों के लिए स्वयं की निधि से टूर भी आयोजित कर कृषकों को प्रदेश के बाहर ले जाकर नई तकनीकी कृषि उपज के गुर सिखाए और अपनी 2 एकड़ भूमि पर चने की फसल लगाई।

कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि अधिकारियों की देखरेख एवं मॉनिटरिंग में चने की सर्वाधिक पैदावार प्राप्त करने वाले कृषि कर्मण अवार्ड से नवाजे गए सीएस तिवारी मीडिया से रूबरू होकर श्रीतिवारी ने जिंदगी की सबसे बड़ी सफलता माना और पुरस्कार के लिए अपने परिवार मित्रों और फार्म हाउस में कार्य करने वाले सहयोगियों को सफलता के लिए श्रेय दिया। उन्होंने कृषि में आ रही समस्याओं एवं युवा कृषकों के घटते हुए कृषि रुझान के लिए चिंता भी व्यक्त की। कृषकों की उपज का उचित मूल्य ना मिलने के चलते उन्होंने शासन प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराया तो वहीं बीते वर्षों को याद करते हुए उन्होंने एक प्रैक्टिकली बात मीडिया के सामने रखी। एक समय वह हुआ करता था जब नरसिंहपुर जिले में सोयाबीन की सर्वाधिक पैदावार हुई करती थी। सरकार की गलत नीतियों के चलते और किसानों को उपज का सही मूल्य ना मिलने के कारण कृषकों का सोयाबीन से मोहभंग हुआ और कृषकोंं ने सोयाबीन की फसल लगाना बंद कर दिया। जिसके परिणास्वरूप नरसिंहपुर जिले के बहुत बड़े-बड़े सोयाबीन प्लांट बंद हो गए। हजारों लोग बैरोजगार हो गए यही हालात गन्ने को लेकर नजर आ रही हैं। युवा कृषक कृषि से दूर होते चला जा रहा है। मिल प्रबंधन शासन प्रशासन की ढुलमुल नीतियों के चलते कहीं ऐसा ना हो कृषक गन्ने की फसल भी लगाना छोड़ दे यदि ऐसा हुआ तो संचालित सभी मिलें धराशाई हो जायेंगी और युवा कृषि कार्य को छोड़कर अन्य कोई व्यापार व्यवसाय करेंगे जो कृषि कार्य के लिए उचित नहीं होगा।