Loading...
अभी-अभी:

बैकों में 500 और 1000 रुपए के नोट बदलने के लिए बैंकों में उमड़ी भीड़

image

Nov 10, 2016

इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने के घोषणा के बाद से लोगों के मन में एक ही चिंता सता रही हैं कि उनके पास रखे बड़े नोट चल जाएं। पांच सौ और हजार के नोट बंद होने के सरकारी एलान के बाद घरों में जमा बड़े नोटों की खेप निकलकर बाजार में बह निकली। नियम विरुद्ध चले लेनदेन को बंद कराने जब अफसर पहुंचे तो दुकानदारों ने उनका मुंह यह कहकर बंद कर दिया कि जिन आला अफसरों की आप बात कर रहे हो, वे अपने रिश्तेदार सहित यहीं हैं।

- कई जगह विपरीत स्थिति रही। मुनाफा कमाने के चक्कर में ज्वेलर्स के यहां बड़ी कीमतों पर सोना लेकर नोट खपाए गए। वहीं सरकारी दफ्तरों में अफसरों के परहेज से लाखों का राजस्व नहीं आ सका। शहर के बड़े शोरूम पर रातभर सोने की खरीदी-बिक्री ने इसका भाव रिकॉर्ड 40 हजार रुपए तक पहुंचा दिया।

- मंडियों में उपज बेचने आए हजारों किसानों को वापस लौटना पड़ा और व्यापारी खाली बैठे रहे। शहर की छावनी, लक्ष्मीबाई नगर और चोइथराम मंडी में मिलाकर लगभग 20 करोड़ का लेनदेन ठप रहा। छावनी और लक्ष्मीबाई मंडी में पहुंचे किसान बड़े नोट लेने को तैयार नहीं थे, जबकि व्यापारियों ने सौ रुपए के इतने अधिक नोट नहीं होने का कहकर उपज नहीं ली। चोइथराम फल एवं सब्जी मंडी में सैकड़ों ट्रकों की नीलामी नहीं हुई। इधर, शादी वाले घरों में भी तैयारियों पर संकट छाया रहा। छोटे भुगतान को लेकर लोग असमंजस में हैं।

- सरकारी दफ्तरों पर यह आलम था कि जिला कोर्ट में अर्थदंड और चालान जमा करने पहुंचे लोगों को

न्यायालयीन कर्मचारियों ने कोई निर्देश नहीं होने का हवाला देते हुए नोट लेने से इनकार कर दिया। सामान्य दिनों की तुलना में यहां 300 से ज्यादा चालान कम जमा हुए।

- नगर निगम ने भी अपनी बैंक के निर्देश पर करदाताओं से नोट नहीं लिए। इससे लाखों रुपए का टैक्स जमा नहीं हुआ। यही हाल शनिवार को लगने वाली लोक अदालतों में भी रहेगा। पेट्रोल पंपों पर पुराने नोट लिए जाने की घोषणा के बावजूद लोगों को पूरी राशि का ईंधन डलवाने की मनमानी सहन करना पड़ी।

- जिन लोगों रेल विभाग से राहत की जानकारी थी, वे बिना सफर के टिकट के लिए लाइन में लग गए। यहां भी कुछ समय बाद छोटे नोट खत्म हो गए। वहीं बाहर कई ऑटो चालकों से सवारियों की पटरी नहीं बैठने पर वे दिनभर खाली बैठे रहे। कई यूजी छात्र परीक्षा फॉर्म नहीं भर सके। गाड़ी अड्डा ब्रिज के प्रभावितों से निगम अधिकारियों ने बड़े स्तर का हवाला देकर बड़े नोट नहीं लिए। यहां सिर्फ एक परिवार ही तीन हजार रुपए (सौ-सौ के नोट) दे पाया।