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बालाघाटः इन दिनों अंधेरे में गुजर रहा है जीवन बैगा आदिवासियों का, महीने भर से बिजली है गुल  

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Jul 13, 2019

राज बिसेन- जिले की परसवाड़ा तहसील अंतर्गत आने वाले वन ग्राम कुकड़ा में विगत एक महीने से बिजली की सप्लाई बन्द होने से यहां के बैगा आदिवासी अंधेरे में जीवन गुजारने पर मजबूर हैं। ग्राम कुकड़ा के ग्रामीण परसराम मेंरावी ने बताया कि विगत महीने भर से यहां बिजली नहीं है। बिजली की व्यवस्था के लिखित शिकायत भी की जा चुकी है परंतु उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। परसराम मेरावी का कहना है कि उनके द्वारा बिजली कर्मचारियों को भी इस संदर्भ में शिकायत की जा चुकी है परंतु विगत 15 दिन दिवस पूर्व बिजली कर्मचारी वन ग्राम कुकड़ा में आये भी एवं यहां की व्यवस्था को देख कर जा चुके हैं, परंतु अब तक यहां बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई है। जिसके कारण उन्हें अंधेरों में रात्रि काटने को मजबूर होना पड़ रहा है।

गिरे हुए हैं बिजली के पोल, झूल रहा है बिजली का तार

ग्राम कुकड़ा के निवासी गोविंद यादव का कहना है कि घर के समीप एक बिजली का खंभा गिरा हुआ है। जिसके चलते ग्रामीणों द्वारा झूलते हुए बिजली के तार से करंट से बचने हेतु एक बांस के सहारे तार को बांध कर रख दिया गया है। विगत महीने भर से यहां बिजली नहीं होने के कारण शाम ढले ही सभी ग्रामीणों के घर पर अंधेरा पसरा रहता है। उनका कहना है कि बिजली की व्यवस्था के संदर्भ में शिकायत किए जाने के बावजूद भी उन्हें सुधारने हेतु अब तक कोई भी बिजली कर्मचारी नहीं आया है।

अंधेरे में रहने को है मजबूर

ग्रामीण गणेश संयम ने बताया कि बिजली नहीं होने के चलते वे महीने भर से अंधेरे में गुजारा कर रहे हैं। दिन में ही वे अपने सारे कामकाज पूरे कर शाम ढले उन्हें अंधेरे में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बिजली कर्मचारियों को बिजली व्यवस्था सुधारे जाने हेतु जब फोन लगाया जाता है तो वह अपना मोबाइल बंद कर देते हैं। इस तरह उनकी दीन हीन दशा के चलते ध्यान देने वाला कोई नहीं है। बिजली के तार ग्राम फतेहपुर से कुकड़ा के बीच जंगलों में कहीं टूट गए हैं जिससे बिजली सप्लाई नहीं हो रही है जिसे अब तक ना सुधारे जाने के कारण यहां के निवासी अंधेरे में रहने हेतु मजबूर हैं। बारिश के दिनों में बिजली नहीं होने से उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

मिट्टी का तेल भी उपलब्ध नहीं है ग्रामवासियों को

वहीं एक ग्रामवासी अवंती बाई ने बताया कि उनके पास मिट्टी का तेल भी नहीं है जिससे वे रात के अंधेरे को दूर करने के लिए चिराग बना कर जला सकें। महीना पूरा होने पर पास के गांव के राशन दुकान से मिट्टी का तेल मिलेगा। वर्तमान में उनके पास मिट्टी का तेल नहीं होने के चलते उन्हें अंधेरे में ही रात गुजारना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पूरे गांव में बिजली नहीं होने के चलते, शाम होते ही पूरा गांव अंधेर में डूब जाता है। यहाँ सभी शाम ढलने के बाद अंधेरे में ही समय गुजारते हैं।