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जीएसटी ने बढ़ाई दवा कारोबारियों की उलझन

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Jul 13, 2017

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के 12 दिन बाद भी दवा कारोबार उलझनों में फंसा हुआ है। दवाओं के दाम पर खास अंतर नहीं पड़ा है, मगर इसके बावजूद दाम बढ़ा दिए गए हैं। दरअसल, दवा कंपनियों ने दवा कारोबारियों को दिए जाने वाले डिस्काउंट व अन्य ऑफर फिलहाल बंद कर दिए हैं। इस कारण व्यापारी जनता को दिए जाने वाले डिस्काउंट पर कैंची चला रहे हैं। सीधे जनता को एमआरपी से 10 से 15 फीसदी तक कम मिलने वाली दवाएं तीन से पांच फीसदी डिस्काउंट या फिर पूरी एमआरपी पर दी जा रही हैं।

कंपनियों से स्टॉक नहीं लिया जा रहा, इस कारण बाजार में कई दवाओं की किल्लत भी बनी है। दवा कारोबार में दवाइयों के अलावा सर्जिकल आइटम, कॉस्मेटिक आइटम सहित अन्य मदों में सरकार ने जीएसटी की विभिन्न श्रेणियां रखी हैं। कुछ आइटम पर पांच फीसदी जीएसटी लगाया गया है तो कुछ पर 12, 18 और 28 फीसदी तक का स्लैब रखा है। दवा कारोबार विशेषज्ञों की मानें तो अभी तक विभिन्न आइटमों पर टैक्स स्लैब की स्थिति स्पष्ट नहीं थी, मगर धीरे-धीरे टैक्स स्लैब क्लीयर होने लगा है।

दवा कंपनियां स्टॉकिस्ट को दिए जाने वाले माल पर जीएसटी तो लगा रही हैं, मगर स्टॉकिस्ट के लिए निर्धारित दवाओं के दाम कम किए हैं। इस तरह से सभी तरह के दवाओं के दाम पर खास अंतर नहीं पड़ा है। ऐसे बढ़ गए दाम जीएसटी लागू होने से पहले दवा कंपनियां दवाइयों पर कई तरह के डिस्काउंट व अन्य ऑफर दिया करती थी। जीएसटी के बाद कंपिनयों ने डिस्काउंट व ऑफर बंद कर दिए हैं। इस कारण स्टॉकिस्ट का प्रोफिट कम हो गया है। थोक विक्रेता फुटकर विक्रेताओं को माल देने में अपना प्रोफिट पूरा करने में जुटे हैं, इस कारण फुटकर दवा विक्रेता लोगो को कम डिस्काउंट व पूरी एमआरपी पर दवाएं देकर प्रोफिट पूरा कर रहे हैं। जीएसटी के बाद दवाओं की किल्लत इन सभी उलझनों के बीच स्टॉकिस्ट कंपनियों से माल काफी कम उठा रहे हैं। यही नहीं एक जुलाई से पहले के माल को जीएसटी के आधार पर खपाने के लिए प्रोफिट भी ले रहे हैं। इसी वजह से रिटेलर तक माल कम पहुंच रहा है और कई तरह की दवाओं की बाजार में किल्लत होने लगी है।

ऐसे चल रहा कारोबार 
उदाहरण के तौर पर 10 पैकेट खरीदने वाला कारोबारी एक या दो पैकेट लेकर ही काम चला रहा है। कई ऐसे ब्रांड हैं, जिसमें अधिक नुकसान की आशंका है। उनकी खरीदारी स्टॉकिस्ट और कंपनी से बिल्कुल बंद कर दी गई है। जीएसटी नंबर नहीं, वसूल रहे अधिक दाम फुटकर दवा बाजार में अधिकांश व्यापारियों ने अभी जीएसटी नंबर नहीं लिए हैं। इस कारण अभी भी बड़ी मात्रा में जिले में बिना बिलिंग के दवा कारोबार चल रहा है। मगर ये दवा कारोबारी लोगों को जीएसटी के नाम से डिस्काउंट कम या पूरी खत्म कर दवाएं दे रहे हैं।

सेल इन्वाइस का खेल हुआ खत्म 
जीएसटी से पहले स्टॉकिस्ट सेल इन्वाइस काटा करते थे। इसमें कई चिकित्सकों के नाम से सेल इन्वाइस काटी जाती थी, मगर अब हर दवा जीएसटी इन्वाइस पर बेची जाएगी। सेल इन्वाइस खत्म होने से भी कारोबारियों का प्रोफिट कम हुआ है। 50 फीसदी तक गिरा कारोबार आगरा दवा कारोबारी की बड़ी मंडी है। अनुमान के मुताबिक शहर में हर दिन 30 करोड़ के आसपास दवा कारोबार होता है। यह गिरकर 15 से 16 करोड़ रुपये तक रह गया है।

जीएसटी से पहले कंपनियों ने दिए थे ऑफर जीएसटी लागू होने से पहले दवा कंपनियों ने बाकायदा ऑफर दिए थे।पहले सात से लेकर 21 दिन तक की उधारी दी जाती है, मगर दवा कंपनियां 40 से 50 दिन की उधारी करने तक को तैयार थीं। यही नहीं दवा कंपनियां सीधे स्टॉकिस्ट को 10 से 15 फीसदी तक का डिस्काउंट ऑफर दे रही थी। इसके बावजूद अधिकांश कारोबारियों ने माल नहीं उठाया। इन दवाओं की हो रही कमी बच्चों को बुखार के सिरप, खांसी की दवाइयां, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, आंखों के ड्राप, गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली दवाइयां सहित कई तरह की दवाएं बाजार से खत्म होने लगी हैं।

ये है व्यापारियों का कहना -
-जीएसटी के बाद से दवा कंपनियां माल काफी कम दे रही हैं। इस कारण बाजार में दवाओं की कमी हो गई है। - पुनीत कालरा, महासचिव, मेडिकल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन। 
-दवा कंपनियों से माल कम आ रहा है। फुटकर दवा व्यापारी भी कम माल उठा रहे हैं। इसी वजह से दवाओं की किल्लत है। - आशीष शर्मा, अध्यक्ष, आगरा महानगर कैमिस्ट एसोसिएशन। 
-बाजार में ऐसी स्थिति कभी नहीं रही। दवा कारोबारी अभी भी स्पष्ट नहीं हैं, कि जीएसटी को लेकर किस तरह काम करना है। - गिरधारी लाल भगत्यानी, संस्थापक, आगरा महानगर कैमिस्ट एसोसिएशन। 
-टैक्स स्लैब के हिसाब से अब जाकर साफ्टवेयर अपडेट हुए हैं। जीएसटी नंबर कई व्यापारियों ने नहीं लिया है। उनको माल नहीं दिया जा रहा। - डॉ. आशीष ब्रह्मभट्ट, अध्यक्ष, मेडिकल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन।

सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन इस बार जीएसटी में फंसे रह गए हैं। दरअसल, शासन स्तर पर एंटी रैबीज इंजेक्शन की सप्लाई करने वाली कंपनी जीएसटी को लेकर प्रक्रिया पूरी करने में लगी है। प्रक्रिया पूरी न होने से सरकार सप्लाई नहीं ले रही है। जिला अस्पताल के सीएमएस ने बताया कि डिमांड भेजी हुई है। जल्द ही एंटी रैबीज इंजेक्शन की सप्लाई जिले में होगी।

- 20 लाख तक का कारोबार टैक्स के दायरे में नहीं है। इसके बाद भी कारोबारी उलझन में हैं। एमआरपी तक दवाओं की बिक्री जायज है। इससे अधिक बिक्री की जाती है तो संबंधित पर कार्रवाई होगी। - मुकेश पालीवाल, ड्रग इंस्पेक्टर।