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आज है राष्ट्रीय युवा दिवस, स्वामी विवेकानंद का जन्मदिवस जिन्होंने युवाओं को दी नई दिशा

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Jan 11, 2020

भारत में कई महापुरुष हुए हैं जिनमें से एक स्वामी विवेकानंद भी हैं। आपको बता दें कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। आज यानी 12 जनवरी के दिन को युवाशक्ति के नाम किया गया है। अतः हर वर्ष 12 जनवरी को भारत में पूरे उत्साह और खुशी के साथ राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इसे आधुनिक भारत के निर्माता स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को याद करने के लिये मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को मनाने के लिये वर्ष 1984 में भारतीय सरकार द्वारा इसे पहली बार घोषित किया गया था। 1985 से पूरे देश भर में राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में इसे मनाने की शुरुआत हुई।

स्वामी विवेकानन्द से जुड़ी एक प्रेरक प्रसंग

एक बार स्वामी विवेकानन्द के आश्रम में एक व्यक्ति आया जो देखने में बहुत दुखी लग रहा था। वह व्यक्ति आते ही स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला कि महाराज मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ, अपने दैनिक जीवन में बहुत मेहनत करता हूँ, काफी लगन से भी काम करता हूँ लेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाया। भगवान ने मुझे ऐसा नसीब क्यों दिया है कि मैं पढ़ा लिखा और मेहनती होते हुए भी कभी कामयाब नहीं हो पाया हूँ। स्वामी जी उस व्यक्ति की परेशानी को पल भर में ही समझ गए। उन दिनों स्वामी जी के पास एक छोटा सा पालतू कुत्ता था। उन्होंने उस व्यक्ति से कहा, तुम कुछ दूर तक जरा मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ, फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दूँगा। आदमी ने बड़े आश्चर्य से स्वामी जी की ओर देखा और फिर कुत्ते को लेकर कुछ दूर निकल पड़ा।

दूसरों की होड़ मत करो और अपनी मंजिल खुद बनाओ

काफी देर तक अच्छी खासी सैर करा कर, जब वो व्यक्ति वापस स्वामी जी के पास पहुँचा, तो स्वामी जी ने देखा कि उस व्यक्ति का चेहरा अभी भी चमक रहा था, जबकि कुत्ता हाँफ रहा था और बहुत थका हुआ लग रहा था। स्वामी जी ने व्यक्ति से कहा – कि ये कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया जबकि तुम तो अभी भी साफ सुथरे और बिना थके दिख रहे हो तो व्यक्ति ने कहा कि मैं तो सीधा साधा अपने रास्ते पे चल रहा था लेकिन ये कुत्ता गली के सारे कुत्तों के पीछे भाग रहा था और लड़कर फिर वापस मेरे पास आ जाता था। स्वामी जी ने मुस्कुरा कर कहा, यही तुम्हारे सभी प्रश्नों का जवाब है। तुम्हारी मंजिल तुम्हारे आसपास ही है, वो ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन तुम मंजिल पे जाने की बजाय दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो और अपनी मंजिल से दूर होते चले जाते हो। मित्रों, यही बात हमारे दैनिक जीवन पर भी लागू होती है। हम लोग हमेशा दूसरों का पीछा करते रहते है कि वो डॉक्टर है तो मुझे भी डॉक्टर बनना है, वो इंजीनियर है तो मुझे भी इंजीनियर बनना है, वो ज्यादा पैसे कमा रहा है तो मुझे भी कमाना है। बस इसी सोच की वजह से हम अपने टेलेंट को कहीं खो बैठते हैं और जीवन एक संघर्ष मात्र बनकर रह जाता है। इसलिए मित्रों, दूसरों की होड़ मत करो और अपनी मंजिल खुद बनाओ।