Oct 10, 2019
आजादी के समय देश भर में 23,344 डाक घर थे और इनमें से 19,184 डाक घर ग्रामीण क्षेत्रों में और 4,160 शहरी क्षेत्रों में थे। वहीं देश भर में 31 मार्च, 2008 तक 1,55,035 डाक घर थे, जिनमें से 1,39,173 डाक घर ग्रामीण क्षेत्रों और 15,862 शहरी क्षेत्रों में थे और पोस्टल नेटवर्क में इस सात गुने विकास के परिणामस्वरूप आज भारत में विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क है। इसी के साथ पोस्लट नेटवर्क के विस्तार में, खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में डाक घरों को शुरू करने का योगदान रहा है।
आधुनिक डाक व्यवस्था की शुरुआत 18वीं सदी से पहले हुई थी
वहीं अपने देश में एक डाक घर 21.20 वर्ग किमी क्षेत्र और 7.74 लोगों की जनसंख्या को अपनी सेवा प्रदान करता है। आप सभी को बता दें कि पोस्टल नेटवर्क में चार श्रेणियों के डाक घर हैं जिनमे प्रधान डाक घर, उप डाक घर, अतिरिक्त विभागीय उप डाक घर और अतिरिक्त विभागीय शाखा डाक घर शामिल है। वहीं सभी डाक घर एक जैसी पोस्टल सेवाएं प्रदान करते हैं लेकिन डिलीवरी का काम विशिष्ट डाक घरों के जिम्मे रहता है। ऐसे में अपने देश में आधुनिक डाक व्यवस्था की शुरुआत 18वीं सदी से पहले हुई और साल 1766 में लॉर्ड क्लाइव द्वारा स्थापित डाक व्यवस्था का विकास वारेन हेस्टिंग्स ने वर्ष 1774 में कोलकाता जीपीओ की स्थापना करके किया।
मुख्य उद्देश्य है ग्राहकों को डाक विभाग के बारे में जानकारी देना
इसी के साथ चेन्नई एवं मुंबई के जनरल पोस्ट ऑफिस क्रमश: वर्ष 1786 एवं 1793 में अस्तित्व में आए। ऐसे में हर साल विश्व डाक दिवस यानी वर्ल्ड पोस्ट डे 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसी के साथ इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य है ग्राहकों को डाक विभाग के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य को स्थापित करना होता है। कहते हैं इस दिवस को स्विट्जरलैंड के बर्न में वर्ष 1874 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की याद में मनाया जाता है। अपना देश भी 1 जुलाई, 1876 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था। इसी सदस्यता को लेने वाला भारत एशिया का पहला देश है और 1 अक्टूबर, 1854 में भारत सरकार ने डाक के लिए एक विभाग की स्थापना की थी।