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सरकार बेशर्मी से कर रही सरकारी अस्पतालों का निजीकरण : कांग्रेस

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Mar 22, 2018

छत्तीसगढ़ सरकार के एक फैसले पर सवाल खड़े होने लगे हैं दरअसल राज्य सरकार ने अपने ताजा फैसले में प्रदेश के 9 सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने का फैसला किया है दलील दी गई है कि अस्पताल को चलाने में प्रशासन नाकामयाब रहा इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि अस्पतालों में डाॅक्टरों से लेकर पैरामेडिकल स्टाॅफ की कमी से जूझ रही सरकार ने अस्पतालों की बेहतरी का रास्ता खोला है। हालांकि सरकार के इस फैसले पर सियासत गर्मा गई है कांग्रेस ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि सरकार बेशर्मी से सरकारी अस्पतालों का निजीकरण कर रही है कांग्रेस ने यह भी कहा है कि स्वास्थ्य क्षेत्र की बदहाली ही सत्ता से बीजेपी की बेदखली का रास्ता तय करेगी।

छत्तीसगढ़ के माथे पर पहले ही गर्भाशय कांड, आंखफोड़वा कांड का कलंक लगा है बावजूद इसके सरकार का यह फैसला कई सवाल खडे करता है कि गरीबी का दंश झेल रहे हजारों परिवारों के स्वास्थ्य की चिंता को ताक पर रखकर आखिर कैसे प्रदेश के नौ सामुदायिक अस्पतालों को निजी हाथों में देने का फैसला कर लिया गया। सरकार के ताजा फैसले के तहत नया रायपुर, गुढ़ियारी, माना, मठपुरैना, कुरूद, सुपेला, खुर्सीपार, भाटापारा, मनेंद्रगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को पीपीपी मोड पर निजी क्षेत्रों को दिया जाएगा चूंकि फैसला सीधे जनता के हितों से जुड़ा हुआ है, लिहाजा इस पर सियासत भी शुरू हो गई है।

कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा है कि जिस राज्य के मुख्यमंत्री खुद डाॅक्टर हो, ऐसे राज्य में स्वास्थ्य सुविधा की बदहाली की उम्मीद नहीं की जा सकती कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डाॅ.राकेश गुप्ता ने कहा कि सरकार प्रदेश में शराब की दुकानें खोल रही है और अस्पतालों का निजीकरण किया जा रहा है सरकार की प्राथमिकता में शराब बेचना है, लेकिन आम लोगों के स्वास्थ्य की चिंता सरकार को नहीं है। डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि जिन अस्पतालों को निजी हाथों में देने का फैसला लिया गया है, उनमें नया रायपुर और कुरूद का भी अस्पताल शामिल है इसका मतलब ये है कि जहां सरकार है, वहां भी सरकारी स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में सरकार सक्षम नहीं है गुप्ता ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता होती है यदि कोई दल जिसकी सरकार है वह ये कहकर निजी हाथों में सरकारी अस्पताल को दे दे कि हम संचालन नहीं कर पा रहे हैं, तो ये दुर्भाग्यजनक है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र की बदहाली ही बीजेपी की हार का कारण बनेगी उन्होंने कहा कि सरकार का एजेंडा अस्पतालों में उपकरण खरीदना और बिल्डिंग बनाना प्राथमिकता में है इधर जेसीसी सुप्रीमो अजीत जोगी ने भी सरकार के इस फैसले पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है उन्होंने कहा है कि इस फैसले से निकृष्ट कोई दूसरा फैसला नहीं हो सकता सरकार को जिन क्षेत्रों में ध्यान दिए जाने की जरूरत हैं, सरकार का ध्यान वहां नहीं है और जहां सरकार को ध्यान नहीं देना चाहिए, सरकार वहां ध्यान दे रही है रमन सरकार हर मोर्चों पर फेल है।

इधर कांग्रेस और जोगी कांग्रेस के कड़े तेवर के बीच बीजेपी ने पलटवार किया है बीजेपी प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कहा है कि 60 सालों तक कांग्रेस ने देश में राज किया, तब कांग्रेसियों को जनता के स्वास्थ्य की चिंता नहीं सताई और आज जब बीजेपी सरकार आम लोगों के बेहतर स्वास्थ्य की चिंता कर रही है, तो आपत्ति जताई जा रही है उपासने ने कहा कि प्रदेश में विकास पीपीपी माडल पर ही तेजी से किया जा रहा है। 

प्रदेश के इन नौ सामुदायिक अस्पतालों पर हजारों की आबादी निर्भर थी जो मुफ्त इलाज की बांट जोहकर यहां आती थी छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज इन अस्पतालों में यूं ही हो जाया करता था लेकिन अब यहां जज्बातों की कीमतें तय होंगी मजबूरियों की बोलियां लगेंगी और आंसूओं का सैलाब बहेगा दरअसल जज्बात, मजबूरियां और आंसूओं की सरकार में कोई जगह नहीं होती. यहां होती है तो बस विकास के कारनामों की कहानियां।