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आज है छोटी दीपावली, जानिए नरक चतुर्दशी की पूजा विधि और मान्‍यताएं

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Nov 6, 2018

छोटी दीपावली धनतेरस के अगले दिन मनाई जाती है इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं इस दिन सुबह अभ्‍यंग स्‍नान करने के बाद शाम को मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है और घर के बाहर दीपक जलाकर छोटी दीपावली मनाई जाती है मान्‍यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्‍यु का खतरा टल जाता है कहा जाता है कि इस दिन सुबह-सवेरे स्‍नान करने के बाद भगवान कृष्‍ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्‍ति होती है ऐसी भी मान्‍यता है कि राम भक्‍त हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से इसी दिन जन्‍म लिया था इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है।

छोटी दीपावली और नरक चतुर्दशी कब है?

धनतेरस के बाद और दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली मनाई जाती है हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से यह पर्व हर साल अक्‍टूबर या नवंबर के महीने में आता है इस बार नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली 6 नवंबर को है

नरक चतुर्दशी तिथि और स्‍नान व दीपदान का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 05 नवंबर 2018 को रात 11 बजकर 46 मिनट से

चतुर्दशी तिथि समाप्‍त: 06 नवंबर 2018 को रात 10 बजकर 27 मिनट तक.

अभ्‍यंग स्‍नान का मुहूर्त: 06 नवंबर 2018 को सुबह 05 बजकर 03 मिनट से सुबह 06 बजकर 38 मिनट तक.

कुल अवधि: 01 घंटे 35 मिनट.

दीपदान का मुहूर्त: 06 नवंबर 2018 को शाम 06 बजे से शाम 07 बजे तक.

नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली का महत्‍व

नरक चतुर्दशी को यम चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहते हैं यह पर्व नरक चौदस और नरक पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है आमतौर पर लोग इस पर्व को छोटी दीवाली भी कहते हैं इस दिन यमराज की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन जो व्‍यक्ति सूर्योदय से पूर्व अभ्‍यंग स्‍नान यानी तिल का तेल लगाकर अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) यानी कि चिचिंटा या लट जीरा की पत्तियां जल में डालकर स्नान करता है, उसे यमराज की विशेष कृपा मिलती है नरक जाने से मुक्ति मिलती है और सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं स्‍नान के बाद सुबह-सवेरे राधा-कृष्‍ण के मंदिर में जाकर दर्शन करने से पापों का नाश होता है और रूप-सौन्‍दर्य की प्राप्ति होती है माना जाता है कि महाबली हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था इसीलिए बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है

नरक चतुर्दशी के दिन स्‍नान की विधी

- मान्‍यताओं के मुताबिक नरक से बचने के लिए इस दिन सूर्योदय से पहले शरीर में तेल की मालिश करके स्‍नान किया जाता है।

- स्‍नान के दौरान अपामार्ग की टहनियों को सात बार सिर पर घुमाना चाहिए।

- टहनी को सिर पर रखकर सिर पर थोड़ी सी साफ मिट्टी रखें लें।

- अब सिर पर पानी डालकर स्‍नान करें।

- इसके बाद पानी में तिल डालकर यमराज को तर्पण दिया जाता है। 

- तर्पण के बाद मंदिर, घर के अंदरूनी हिस्‍सों और बगीचे में दीप जलाने चाहिए।

यम तर्पण मंत्र

यमय धर्मराजाय मृत्वे चान्तकाय च |

वैवस्वताय कालाय सर्वभूत चायाय च ||

टिप्पणियांनरक चतुर्दशी के दिन कैसे जलाएं दीया?

कार्तिक चतुर्दशी की रात यम का दीया जलया जाता है. इस दिन यम के नाम का दीया कुछ इस तरह जलाना चाहिए:

- घर के सबसे बड़े सदस्‍य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए.

- इसके बाद इस दीये को पूरे घर में घुमाएं.

- अब घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं.

- घर के दूसरे सदस्‍य घर के अंदर ही रहें और इस दीपक को न देखें.

 नरक चतुर्दशी से जुड़ी मान्‍यताएं

पौराणिक कथा के अनुसार नरक चतुदर्शी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी असुर नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था इस उपलक्ष्य में दीपक जलाए जाते हैं।