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बाल गंगाधर तिलक की पुण्य तिथि पर जानिए उनसे जुड़े कुछ अहम किस्से

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Aug 1, 2018

आजादी से पूर्व भारत मे अंग्रेज़ो की क्रूरता बढ़ने पर महात्मा गांधी और नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने पहली बार लाहौर में साल 1929 में पूर्ण स्वराज की मांग की थी, लेकिन इस आंदोलन के लिए जरूरत थी एक ऐसे नारे की जो लोगो की जुबान के साथ-साथ उनके दिल मे भी बैठ जाए। इसलिए कुछ सलाह मसवरा करने के बाद काँग्रेस ने बाल गंगाधर तिलक का दिया हुआ नारा अपनाया। उनका यह नारा स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” आज भी हिंदुस्तान के हर नागरिक के दिल मे बसता है।

बाल गंगाधर तिलक की पुण्य तिथि पर हम आपके लिए लेकर आये है उनके जीवन से जुड़े कुछ अहम किस्से। बहुत कम लोग जानते है महात्मा गांधी के इंग्लैंड से भारत वापस आने से पहले ही बाल गंगाधर तिलक देश में ब्रिटिश राज के खिलाफ आम जनता के बीच बगावत का बिगुल बजा चुके थे। इस वजह से उन्हे स्वतंत्रता आंदोलन का जनक भी कहा जाता है।

बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के चिक्कन गांव में 23 जुलाई 1856 को हुआ था। उन्हे बचपन से ही पढ़ाने का बहुत सौक था परंतु वे ब्रिटिश शिक्षा नीति के खिलाफ थे और इसीलिए उन्होने खुद ही पढ़ाना शुरू कर दिया और सन्‌ 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ साल बाद फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की। लोग उन्हें आदर से 'लोकमान्य' नाम से पुकार कर सम्मानित करते थे। उन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। उन्होंने दो साप्ताहिक समाचार पत्रों, मराठी में ‘केसरी’ और अंग्रेज़ी में ‘द मराठा,’ के माध्यम से लोगों की राजनीतिक चेतना को जगाने का काम शुरू किया। इन समाचार पत्रों के ज़रिये वे ब्रिटिश शासन की क्रूरता को उजागर करते थे। जिसके फलस्वरूप और केसरी में छपने वाले उनके लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल भेजा गया। बाल गंगाधर तिलक का निधन 1 अगस्त 1920 को मुंबई में हुआ।