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धान की फसल को 120 सेंटीमीटर पानी की जरूरत, जिले में हुई सिर्फ 94 सेंमी. ही बारिश

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Oct 10, 2018

लोकेश प्रधान : जिले में बारिश की शुरुआत अच्छी हुई थी लेकिन बाद में हल्की हो गई। अब 25 दिनों से बारिश ही नहीं हुई है। फिलहाल कई क्षेत्रों में जरूर खंड वर्षा हुई। इसका असर अब धान की खेती पर पड़ने लगा है। बरमकेला क्षेत्र के खेत पूरी तरह सूख गए हैं। कृषि विभाग के अफसरों की माने तो धान की फसल के लिए 120 सेंटी मीटर पानी की जरूरत होती है पर अब तक 94 सेंटीमीटर बारिश ही हो पाई है। लगभग 62 प्रतिशत खेतों में पानी नहीं है। 

वहीं बरमकेला की बात करें तो यहां 840 मिमी ही बारिश हुई है। अब तीन चार दिनों के भीतर बारिश नहीं हुई तो उत्पादन की उम्मीद भी नहीं रहेगी। इंद्र देव के रूठने की वजह से अब किसान धान की फसल को बचाने के लिए नदी-नालों, बोर पंप व तालाबों में पंप लगाकर सिंचाई करने लगे हैं। इसका लाभ वही किसान उठा सकते हैं जिनके खेत नजदीक हैं या फिर जिनके पास बोर पंप की सुविधा है। पिछले साल भी बरमकेला ब्लॉक में सूखा पड़ा था। इस बार बारिश की शुरूआती दिनों में अच्छी बारिश हुई। इससे किसानों के चेहरे खिले हुए थे, मगर धीरे धीरे बारिश कम होता गया और अब फिर से लगातार दूसरे साल सूखे की नौबत आ गई है। रायगढ़ जिले की बात करें तो बरमकेला विकास खंड में सबसे अधिक किसान खेती किसानी करते हैं। 

इस ब्लॉक के किसानों के लिए पर्याप्त सिंचाई सुविधा भी नहीं है। इस ब्लॉक में मात्र एक किंकारी डैम ही है। इसमें भी पर्याप्त पानी नहीं है। मात्र 44 प्रतिशत पानी भरा हुआ है। इस डैम से 25 से 30 गांवों के किसानों को नहरों के माध्यम से पानी मिलता है, मगर डैम में पर्याप्ता पानी नहीं होने की वजह से सिंचाई के लिए विभाग पानी नहीं दे रहा। इसके अलावा किसानों के पास दूसरा विकल्प बोर पंप हैं। मगर पानी का जल स्तर हर साल नीचे चला जा रहा है। मतलब अब केवल बारिश के भरोसे ही क्षेत्र के किसान खेती कर रहे हैं, पर खेती किसानी करने के लिए जितनी पानी की जरूरत होती है उतनी बारिश नहीं हो रही है। इससे किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है।