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कोरबाः मिट्टी के दीयों से अब जगमगायेगी दीवाली, सरकार हुई कुम्हारों के प्रति संवेदनशील

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Oct 19, 2019

मनोज यादव - प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के साथ ही उन कुम्हारों को भी मुस्कुराने का मौका दिया है, जिनके घर दिवाली में मिट्टी से बने दीयों के कारण रौशन होते हैं। सरकार ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देषित किया है कि दीये के कारोबार से जुड़े लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो। दीये की बिक्री के लिए स्थानों का निर्धारण करने के साथ ही उनसे किसी भी प्रकार का कर नहीं वसूलने का आदेश जारी किया गया है।

कुम्हारों की त्यौहारी खुशियां मिट्टी से बने दीयों से होती हैं जुड़ी

खुशी और हर्षोल्लास का त्यौहार दिवाली नजदीक है। रौशनी के इस पर्व में सबको खुशी मिले इस बात का सरकार बखूबी ध्यान रख रही है। खासकर उन कुम्हारों का जिनकी त्यौहारी खुशियां मिट्टी से बने दीयों से जुड़ी रहती हैं। दीपावली मे मिट्टी के दीयों का क्या महत्व है यह किसी से छिपा नहीं हैं, लेकिन इसके कारोबार में जुड़े कुम्हारों को कितना परेशान होना पड़ता है, यह बात भी सब जानते हैं। यही वजह है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कुम्हारों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस कारोबार से जुड़े लोगों को दीये की बिक्री करने में किसी भी तरह की परेशान नहीं होने देने की बात कही है।

दीये के कारोबार से जुड़े कुम्हारों के कारोबार को कर रहित करने का निर्देश

मुख्यमंत्री ने बाकायदा छत्तीसगढ़ के सभी कलेक्टर को निर्देश दिया है कि दीये के कारोबार से जुड़े कुम्हारों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े। उन्हें कहा गया है कि दीये की बिक्री के लिए उनके लिए निर्धारित स्थान का चिन्हांकन किया जाए। साथ ही कर के रुप में उनसे एक रुपए भी न लिया जाए। सरकार इस निर्णय से दिया बनाने वाले कुम्हार काफी गदगद नजर आ रहे हैं। अपनी व्यथा को साझा करते हुए कुम्हारों ने बताया कि दीया बेचने के लिए उन्हें पहले काफी परेशान होना पड़ता था। हाट बाजारों में जगह नहीं होने के कारण व्यवसाय काफी प्रभावित होता था। ऊपर से निगम द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स उन पर भारी पड़ता था, लेकिन इस त्यौहारी सीजन में जिस तरह से सरकार ने उनके हितों की रक्षा करने की घोषणा की है, वह एक नेक पहल हैं। सरकार के इस कदम से वे भी अच्छे से अपनी दीवाली मना सकेंगे।

कुम्हारों को राहत प्रदान करने के पीछे सरकार की बस एक ही मंशा है,कि दीये का पारंपरिक कारोबार प्रभावित न हो। दीयों से ही दिपावली का पर्व जुड़ा हुआ हैं ऐसे में दीया बनाने वाले कुम्हारों को ही परेशानी होगी तो फिर इस खुशियों के त्यौहार की सार्थकता कैसे सिद्ध होगी। बहरहाल मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी जिलों में कुम्हारो के लिए विशेष व्यवस्था करने का दौर शुरु कर दिया गया है।