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“उम्मीद” गरियाबंद के सुपेबेड़ा में फैली किडनी की बीमारी कब होगी खत्म...?

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Dec 21, 2018

पुरुषोत्तम पात्रा - क्या गरियाबंद के सुपेबेडा में फैली किडनी की बीमारी अब होगी खत्म, और क्या पीडितों का होगा मुक्मल ईलाज और पीने के लिए मिलेगा शुद्ध पेयजल, नयी सरकार के गठन के साथ ही सुपेबेडा के लोगो में इसको लेकर उम्मीद जगी है। गरियाबंद के सुपेबेडा गांव की पहचान पिछले तीन साल से ना केवल छत्तीसगढ बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक किडनी प्रभावित गांव के रुप में रही है, गांव में अब तक किडनी की बीमारी से 65 मौतें हो चुकी है और 150 से ज्यादा मरीज किडनी की बीमारी से जुझ रहे है।

भूपेश बघेल ने लगाए सरकार पर कई गंभीर आरोप

तत्कालिन सरकार ने ग्रामीणों की हर संभव मदद दावा किया मगर ग्रामीणों को इसका कोई लाभ नही मिला, कभी विपक्ष में रहे पीसीसी अध्यक्ष और वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद इसी साल 18 जून को सुपेबेडा का दौरा किया था, वहां के हालात को देखकर उन्होंने ना केवल सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाये थे बल्कि सरकार बनने पर हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया था। अब कांग्रेस की सरकार बनते ही सुपेबेडा के लोगो में एक बार फिर बेहतर जीवन की उम्मीद जगी है, भूपेश बघेल को उनका वादा याद दिलाने के लिए ग्रामीणों का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही उनसे मिलने की तैयारी में है।

डर के साए में जी रहे लोग

ग्रामीणों ने एक बार फिर अपनी पीडा बताते हुए कहा कि सरकार ने उनके लिए अब तक जो भी किया वह पर्याप्त नही है, गांव में ट्रीटमेंट प्लॉट लगाया गया मगर उसका पर्याप्त पानी उन्हें नही मिल रहा है, साथ ही संजीवनी से मेकाहारा या निजी अस्पतालों में ईलाज की जो व्यवस्था तत्तालिन सरकार द्वारा की गयी थी उसका भी सही लाभ उन्हें नही मिल पाया है, ग्रामीणों के मुताबिक वे आज भी डर के साये में जीने पर मजबूर है।

ग्रामीणों को हालात बदलने की उम्मीद

सुपेबेडा के हालात किसी से छुपे नही है, ग्रामीण पिछले तीन साल से एक एक कर काल के गाल में समाते जा रहे है, ऐसे में नयी सरकार बनने पर ग्रामीणों में एक बार फिर बेहतर जीवन की उम्मीद जगी है अब देखने वाली बात होगी कि सरकार सुपेबेडावासियों की उम्मीदों पर कब और कितनी खरी उतरती है।