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कोरिया: उप स्वास्थ्य केंद्र कच्चे मकान में संचालित, एक भी डॉक्टर नहीं है नियुक्त

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Apr 5, 2018

कोरिया जिले के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कैसी स्थिति है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के सात दशकों बाद भी एक उप स्वास्थ्य केन्द्र खपरैल के कच्चें मकान में संचालित है। और तो और इस अस्पताल में एक भी डॉक्टर की नियुक्ति नही है जिससे यहां के ग्रामीणों को हमेशा परेशान होते देखा जा सकता है। एक ओर जहां प्रदेश के जनप्रतिनिधि व जिले के अधिकारी विकास के बड़े बड़े दावेें नही थकते वहीं उनके दावें में कितनी सच्चाई है वह इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों के लिये लगाई गई चारपाईयों को देखकर समझा जा सकता है। 

बता दें कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से लगभग ५० किमी दूर सोनहत विकासखंड के पलारीडांड में एक कच्चे खपरैल मकान में उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है। सुविधा के नाम पर इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में जो संसाधन मौजूद है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कितना संजीदा है। इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों को लिटाने के लिये नर्सिंग एक्ट की गाईड लाईन का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। मरीजों के लिये अत्याधुनिक पलंग तो दूर की बात है यहां मरीजों के लिये घरों में उपयोग की  जाने वाली चारपाई रखी गई है। अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था कितनी दुरूस्त है यह अस्पताल के अंदर घूमने वाले कुत्ते और मुर्गियों को देखकर समझा जा सकता है। 

उप स्वास्थ्य केन्द्र में नहीं है एक भी चिकित्सक की नियुक्ति 
उप स्वास्थ्य केन्द्र से प्राथमिक उपचार के बाद मरीजों के परिजन मरीज को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनहत तक कैसे पहुंचते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मरीज को लेकर उन्हें पांच किमी दूर पैदल चलना पड़ता है तब कहीं जाकर पक्की सड़क मिलती है। ऐसे में कई बार मरीजों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है। इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में एक भी चिकित्सक की नियुक्ति नही की गई है। यहां स्वास्थ्य सेवा के नाम पर एक मलेरिया फील्ड वर्कर व एक एएनएम की नियुक्ति की गई है। जिससे ग्रामीणों को किस प्रकार का स्वास्थ्य लाभ मिलता होगा यह बताने की जरूरत नही है। 

जिला अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी
बता दें न केवल इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में वरन पूरे जिले में संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ ही साथ जिला अस्पताल में भी डॉक्टरों की भारी कमी है। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि सरकार कोरिया जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति कितनी गंभीर है। जिले के अधिकांश अस्पताल सिर्फ रिफरल केन्द्र बने हुए हैं। यही वजह है कि मजबूरी में ग्रामीणों को साहूकारों से कर्ज लेकर निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ता है।