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अम्बिकापुरः नगर पालिक निगम के वार्डो के आरक्षण की सूची जारी, सोशल मीडिया में भूचाल

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Sep 26, 2019

राम कुमार यादव - छत्तीसगढ में नगरीय निकाय चुनाव की हलचल तेज हो गई है। जिसके लिए महापौर और नगर पालिक अध्यक्षों के आरक्षण प्रकिया पहले ही पूरी कर ली गई थी। जिसके बाद अब समूचे प्रदेश समेंत अम्बिकापुर नगर पालिक निगम के वार्डो के आरक्षण की भी सूची जारी कर दी गई है। इधर सूची जारी होने के बाद राजनैतिक गलियारों से ज्यादा सोशल मीडिया में भूचाल आ गया है। आरक्षण तय होने के बाद सोशल मीडिया में उम्मीदवार की बाढ़ सी आ गई है और लोग पार्टी फोरम से पहले सोशल मीडिया में अपनी अपनी दावेदारी पेश करने लगे हैं।

प्रदेश प्रवक्ता ने सोशल मीडिया को उम्मीदवार तय करने का एक स्त्रोत बताया

अम्बिकापुर नगर निगम में 48 वार्ड हैं। इन वार्डो के लिए आरक्षण सूची जारी कर दी गई है। कुछ वार्डो को छोडकर लगभग सभी वार्डो में पिछले बार से अलग आरक्षण के कारण मौजूदा पार्षद चुनाव नहीं लडने की स्थिती में नजर नही आ रहे हैं लेकिन वार्डो के आरक्षण सूची जारी होने के बाद शहर के अलग-अलग वार्डो से युवा और उत्साही कार्यकर्ताओं ने अपनी-अपनी दावेदारी शुरु कर दी है। ये दावेदारी पार्टी फोरम के भीतर नहीं बल्कि सोशल मीडिया में की जा रही है। जो शहर में चर्चा का केन्द्र बनी हुई है। ऐसे में जब हमने कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जे पी श्रीवास्तव से जानना चाहा तो उन्होंने सोशल मीडिया को उम्मीदवार तय करने का एक स्त्रोत बता कर उत्साही युवाओं में और उत्साह बढाने का काम कर दिया है। लेकिन इससे अलग प्रदेश का विपक्षी दल भाजपा के नेता इस तरह के प्रचार और दावेदारी को सिरे से नकार रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी में सोशल मीडिया या फेसबुक में दावेदारी से पार्टी किसी का टिकट तय नहीं करती है, बल्कि भाजपा उन्हीं लोगों को टिकट देती हैं जिसकी पार्टी के प्रति निष्ठा हो और जो लोगों के बीच लोकप्रिय हो।

सोशल मीडिया अपने आप को चमकाने का सबसे बडा और सशक्त माध्यम

आज के युग में सोशल मीडिया अपने आप को चमकाने का सबसे बडा और सशक्त माध्यम बन गया है। तो ऐसे में चुनाव के समय सोशल मीडिया में अपने आप को चमकाने और पार्षद से लेकर महापौर तक की दावेदारी में इसका प्रयोग ना हो, ऐसा सोचना भी गलत होगा। बहरहाल नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सोशल मीडिया में दावेदारी कर रहे लोगों को पार्टियां टिकट देगी या नहीं, ये तय करना राजनैतिक दलों के नेताओं पर निर्भर है।