Jun 24, 2019
मनोज यादव- चखना दुकान संचालक और शराबियों की करतूत से गोपालपुर और भाठापारा गांव के किसान तंग हो चुके हैं। दर्री थाना क्षेत्र के भाठापारा गांव के समीप स्थित शराब दुकान के आसपास के खेत काफी दूषित हो चुका है। दरअसल शराबी तत्व बेफिक्री से दुकान के आसपास की खेतों में बैठकर शराबखोरी करते हैं और सारा अपशिष्ट वहीं फेंक देते हैं। ऐसे में इलाके के किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस बात से आक्रोशित किसानों ने शराब दुकान पहुंचकर जमकर हंगामा किया। दर्री क्षेत्र के भाठापार स्थित शराब दुकान परिसर में हंगामा शुरू हुआ तो इलाके के किसानों और महिलाओं ने दुकान को घेर लिया। आक्रोशित महिलाओं ने आसपास लगे चखना दुकान को हटा दिया। इतना ही नहीं, यहां बैठकर शराब का सेवन कर रहे मयप्रेमियों को खदेड़ दिया गया। किसानी के दिनों खेतों की दुर्दशा देखकर इलाके के किसानों ने चखना दुकान और नशेड़ियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
ग्रामीणों ने कलेक्टर से मदद की लगाई गुहार
शराब दुकानों को अन्यत्र जगह हटाने की मांग ग्रामीणों द्वारा हमेशा से की जाती रही है। भले ही मांग पर कोई गौर करे या न करें। दर्री के भाठापारा गांव के सामीप शराब दुकान के संचालन से इलाके के ग्रामीण भी काफी परेशान है। खासतौर पर आसपास के किसानों की मुश्किले और बढ़ती जा रही है। दरअसल शराब दुकान के चारो तरफ खेत हैं। बगैर बाउंड्रीवाल के दुकान का संचालन किया जा रहा है। आसपास अवैध चखना दुकान भी चलाए जा रहे हैं। ऐसे में मय के प्रेमी आसपास कहीं भी महफिल जमाकर जमकर शराबखोरी करते हैं। शराब का सेवन करने के बाद दारू की बोतल व अन्य अपशिष्ट खेतों में फेक देते हैं। जिसके चलते खेतीहर जमीन काफी प्रदूषित हो चुकी है। खेतों में बोतल व कांच का टुकड़ा फैला हुआ है। कृषि कार्य प्रारंभ हो चुका है। खेतों में किसानों की चहलकदमी बढ़ गई है। मगर गोपालपुर के किसान चोटिल होने के भय से खेतो में उतरने से कतरा रहे हैं। उन्होनें कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई है।
खेतों को कचरा यार्ड बनाने की बात पर किसानों ने जाहिर किया अपना गुस्सा
ग्रामीणों ने शराब दुकान हटाने की मांग नहीं की, बल्कि खेतों को कचरा यार्ड नहीं बनाने की बात को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया है। निश्चित तौर पर इन किसानों की मांग जायज है। इनका मुख्य व्यवसाय कृषि है ऐसे में किसानी के दिनों अगर खेतों में शराब की बोतल, डिस्पोजल व अन्य अपशिष्ट मिले तो इनके के लिए काफी चिंता की बात है। प्रभावित किसानों की इस जायज मांग पर सरकार को गौर करना चाहिए ताकि अन्नदाताओं को अपना परिवार चलाने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े।