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बेमेतराः छात्रावास में रह रहे आदिवासी बच्चों के सिर पर मंडरा रहा खतरा

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Jul 27, 2019

दिलीप साहू- गांव घर छोड़ कर पढ़ाई करने जिला मुख्यालय के छात्रावास में रह रहे आदिवासी बच्चों के सिर पर खतरा का साया मंडरा रहा है। जिला मुख्यालय में बनी 20 वर्ष पुरानी छात्रावास भवन को जो पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। छत का आधा प्लास्तर गिर चुका है, आधे गिर रहे हैं। बता दें यह छत मरम्मत के लायक नहीं डिस्मेंटल के लायक है और जिम्मेदार मरम्मत की राशि के लिए प्रस्ताव भेजने की रटी रटाई बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं। जिला मुख्यालय में प्री-मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति छात्रावास की हालत बद से बदतर है। जहाँ बच्चों पर खतरा मंडरा रहा है और जिला मुख्यालय के निकट होने के बावजूद जिम्मेदारों को यहाँ की कोई परवाह नहीं है। छात्रावास का पोर्च, रसोई, हॉल, रूम, बाथरूम, सभी जगह दरार है और लगातार भवन गिर रहा है और नीचे बच्चे पढ़ रहे हैं।

प्रति वर्ष विभाग को इसकी दशा के बारे में रिपोर्ट पर भी मरम्मत के लिए राशि नहीं आई

अति जर्जर हो चुके डिस्मेंटल के लायक भवनों को विभाग अब मरम्मत कराने चला है, जो विभाग के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है। आदिवासी विकास विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबित जिले में 20 छात्रावास और 1 आश्रम है, जिसमें 6-7 छात्रावास की हालत जर्जर है। छात्रावास अधीक्षक मोहन मरकाम ने बताया कि छात्रावास पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। प्रति वर्ष विभाग को इसकी दशा के बारे में रिपोर्ट सौंप दी जाती है। इसके बाद आज तक मरम्मत के लिए राशि नहीं आई है। वहीं आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त मेनका चंद्रकार ने कहा कि जर्जर हॉस्टल भवनों के मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। कुछ राशि आयी है, जिसके लिए टेंडर निकाला गया है।