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छिंद के रस ने खोला आर्थिक तरक्की का रास्ता, बनाया जा रहा गुड़ कीमत 300 रूपए प्रति किलो

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Jan 14, 2019

सुशील सलाम - पहले ग्रामीण जिस छिंद के पेड़ के रस का इस्तेमाल नशीले पेय के तौर पर करते आ रहे थे आज उसी छिंद रस से बनाए जा रहे गुड़ ने पीव्ही 86 नेताजी नगर निवासी पिंकी मंडल के लिए सामाजिक, आर्थिक तरक्की का रास्ता खोल दिया है छिंदरस से तैयार होने वाला गुड़ स्वादिष्ट और पौष्टिक होने की वजह से 225से 300 रूपए प्रति किलो तक बिकता है जो गन्ने से बनाए जाने वाले सामान्य गुड की कीमत से 5 से 6 गुना ज्यादा है।

खजूर की तरह हू-ब-हू होता है फल

इसके विशिष्ट चॉकलेटी और काफी से मिलता जुलते स्वाद की वजह से इससे खास किस्म की मिठाइयां भी बनाई जाती हैं जिससे वह अपने परिवार व भाई बहनों की पढाई भी छिंद रस से बने गुड़ बेचकर कर रही है छिंद रस से गुड उत्पादन ने कांकेर जिले के परलकोट क्षेत्र में एक नई पहचान दी है छिंद को खजूर प्रजाति का पेड़ माना जाता है इसके पेड़ व फल हू-ब-हू खजूर की तरह ही होते हैं लेकिन फल आकार में कुछ छोटे होते हैं हर साल बीजों के प्रसरण से हजारों नए पौधे उग आते हैं।

ऐसी है रस निकालने की विधी

बस्तर में ग्रामीण इसके वयस्क पेड़ के बीचों बीच स्थित नर्म कोंपल को हटाकर रस निकालते रहे हैं जो एक-दो दिन के फर्मेंटेशन की प्रक्रिया के बाद सल्फी की तरह नशीला हो जाता है इस पारंपरिक विधि में पेड़ केवल 2-3 माह रस देने के बाद पूरी तरह सूख जाता है गुड़ तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले रस के लिए पेड़ की नर्म कोंपल को पूरी तरह नहीं निकाला जाता है बल्कि किनारे पर हल्का चीरा लगाकर रस निकालते हैं इस विधि से पेड़ भी नहीं सूखते और सालों साल इससे रस निकाला जा सकता है।